महालक्ष्मी का ऐसा चमत्कार साल में बस एक बार दिखाई देता है. महाराष्ट्र के कोल्हापुर की महालक्ष्मी का धाम, जहां सूरज की किरणें साल में सिर्फ तीन दिन आती हैं मां के चरणों को चूमने और इन तीन दिनों को मां के भक्त किरणोत्सव के रूप में मनाते हैं. ये तीन दिन होते हैं 31 जनवरी, 1 फरवरी और 2 फरवरी.
कहते हैं जो भी इन दिनों में मां के इस रूप के दर्शन कर लेता है, उसकी कोई भी मनोकामना कभी अधूरी नहीं रहती है. पुराणों के मुताबिक, महालक्ष्मी के इस जाग्रत शक्तिपीठ में मां के नेत्र गिरे थे. कहते हैं जो भी यहां आकर मां का दर्शन-पूजन कर लेता है, मां महालक्ष्मी उसे शक्ति और ऐश्वर्य से परिपूर्ण कर देती हैं.
उज्जैन में हैं मां गजलक्ष्मी
जहां कोल्हापुर में सूर्य देव करते हैं मां की भक्ति, तो वहीं उज्जैन में मां लक्ष्मी इंद्र के वाहन पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देती हैं. भक्त इन्हें मां गजलक्ष्मी के नाम से पूजते है. कहते हैं कि अगर मां गजलक्ष्मी को खीर का भोग लगा दिया जाए, तो मां प्रसन्न होकर सुहागिनों को पति की लंबी उम्र का वरदान दे देती हैं.
जैसलमेर में हैं भगवान लक्ष्मीनारायण
जैसलमेर में भगवान लक्ष्मीनारायण का ऐसा मंदिर है, जहां पेड़े के भोग से भगवान प्रसन्न होते हैं. कहते हैं जिसने भी यहां 51 या 101 रूपये का पेड़ा चढ़ा दिया तो सोने से घर भरते देर नहीं लगती. सबसे विशेष बात ये है कि यहां भगवान को मां लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है.