(Navratri 2018) हिंदू धर्म के हर त्योहार में कई रीति-रिवाज होते हैं लेकिन अक्सर हमें इनके पीछे का उद्देश्य पता ही नहीं होता है. नवरात्र में कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में बोया जाता है और इसका पूजन भी किया जाता है. हममें से अधिकतर लोगों को पता नहीं होगा कि जौ आखिर क्यों बोते हैं?
नवरात्र में जौ बोने के पीछे मान्यता है कि सृष्टि की शुरुआत में सबसे पहली फसल जौ की ही थी. जौ को पूर्ण फसल भी कहा जाता है. जौ बोने का मुख्य कारण है कि अन्न ब्रह्म है इसलिए अन्न का सम्मान करना चाहिए.
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नवरात्र पूजा में केवल जौ बोने का ही महत्व नहीं है बल्कि यह कितनी तेजी के साथ बढ़ता है, ये भी अहम होता है. नौ दिनों में जौ कितना उग जाती है, यह हमारे भविष्य का भी संकेत करता है.
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जौ का तेजी से बढ़ना घर में सुख समृद्धि का संकेत माना जाता है. अगर जौ घनी नहीं उगती है या ठीक से नहीं उगती है तो इसे घर के लिए अशुभ माना जाता है. अगर जौ सफेद रंग के और सीधे उगे हो तो इसे शुभ माना जाता है. अगर जौ काले रंग के टेढ़े–मेढ़े उगती है तो अशुभ माना जाता है.
अगर जौ का रंग नीचे से पीला और ऊपर से हरा हो तो माना जाता है कि वर्ष की शुरुआत खराब होती है.
इसके उलट अगर जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला हो वर्ष की शुरुआत अच्छी होती है, लेकिन बाद में परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं.
इसके उलट अगर जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला हो वर्ष की शुरुआत अच्छी होती है, लेकिन बाद में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
अगर जौ घनी और हरी उगती है तो पूरा वर्ष अच्छा बीतने का संकेत मिलता है.
हर घर में कलश स्थापना के बाद जौ का भी खास ध्यान रखा जाता है.