काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में तीन प्रमुख प्रसादों के वितरण पर रोक लगा दी गई है. देश-दुनिया के दर्शनार्थियों को गर्भगृह में अब सिर्फ बाबा की झलक ही मिल सकेगी. वहां रक्षासूत्र के तौर पर भक्तों की कलाई पर न तो मौली बांधी जाएगी, न ही तिलक लगाया जा सकेगा. बाबा के चरणोदक का प्रसाद भी पुजारी भक्तों के हाथ पर नहीं देंगे.
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह व्यवस्था लागू करने का निर्णय न्यास परिषद ने लिया है. स्वर्ण शिखरों वाले काशी विश्वनाथ के गर्भगृह में दर्शनार्थियों के साथ पुजारियों के बर्ताव को लेकर शिकायतें मिली थीं. शिकायत थी कि दक्षिणा के लाभ के चक्कर में गर्भगृह में पुजारी जिसे चाहते हैं, उसे मौली बांधते हैं और चरणोदक निकाल कर प्रसाद के तौर पर देते हैं. इससे गर्भगृह की पवित्रता और मर्यादा भंग होती है.
हाल में ही न्यास परिषद की बैठक में कार्यपालक समिति के अध्यक्ष और कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया था कि चरणोदक गर्भगृह में कतई नहीं बांटा जाना चाहिए. गर्भगृह में मौली बांधने और माथे पर तिलक लगाने की प्रवृत्ति पर भी एतराज जताया गया था. अंतत: न्यास परिषद ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी एसके मौर्या को निर्देश दिया कि वे गर्भगृह के बाहर मंदिर परिसर में ही चरणोदक जमा कराकर भक्तों के बीच बांटने कराने की व्यवस्था करें. इसी तरह बाबा के दरबार में भक्तों को मौली बांधने और टीका-चंदन लगाने की नई व्यवस्था शुरू करने का निर्देश दिया गया है.