आ गया है वो शुभ समय, जब आप संवार सकते हैं अपनी किस्मत. जब आपके सपनों को मिल सकती है उड़ान और जब किस्मत आप पर हो सकती है मेहरबान.
जी हां शुक्रवार सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर गुरु ने चाल बदल दी है और ऐसे शुभ संयोगों की बौछार कर दी है, जो इससे पहले साल 1953 में बनी थी. यानी 61 साल बाद आपके पास आ गया है एक बार फिर मौका बेहद खास जो 24 जून 2014 तक अपनी शुभता बरकरार रखेगा. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो गुरु ने बदल ली है चाल और प्रवेश कर गया है मिथुन राशि में जबकि शनि, तुला राशि में आ गया है.
ज्योतिष की भाषा में अगर गुरु मिथुन राशि में होता है तो इनकी पंचम शुभ दृष्टि तुला राशि में स्थित शनि पर होती है. इसका मतलब ये हुआ कि गुरु के प्रभाव से शनि शांत हो जाएंगे. चूंकि शनि के संग तुला में राहु भी मौजूद हैं इसलिए गुरु की दृष्टि से दोनों क्रूर ग्रह शांत हो जाएंगे. ऐसे में अगर किसी पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है तो उन्हें एक वर्ष के लिए अतिशुभ राहत मिलेगी.
दूसरा ये कि तुला राशि में उच्च शनि है और तुला राशि व्यापार, साझेदारी,न्याय और भोग से संबंध रखती है इसलिए उस पर भी गुरु की शुभ दृष्टि रहेगी.
लेकिन गुरु की शुभता में चार चांद इसलिए भी लग रहे हैं कि जब गुरु ने मिथुन में प्रवेश किया तो उस समय वहां पहले से ही शुभ ग्रह शुक्र और स्वग्रही बुध की ग्रह स्थिति थी. यानी उस वक्त गुरु बुध और शुक्र तीनो शुभ ग्रह मिथुन राशि में मौजूद थे जो इसकी शुभता को और बढ़ाने वाले ग्रह हैं.
यानी कुल मिलाकर सारी ग्रह स्थिति ये संकेत देती है कि आनेवाले एक साल 24 दिनों तक आप शनि के प्रकोप से आजाद रह सकते हैं धन संपत्ति का अंबार लगा सकते हैं, व्यापार चमका सकते हैं और कानूनी पचड़ों से मुक्त हो सकते हैं.