आज भद्र काली एकादशी है और बजरंगबली का दिन मंगलवार भी. पुराणों में भद्रकाली एकादशी का नाता हनुमान के पंचमुखी रूप से है. इनमें से एक शक्ति का रूप है और दूसरा शक्ति का प्रतीक. इस दिन हनुमान के पंचमुखी रूप की पूजा करके कोई भी लाभ उठा सकता है. इस पूजा से भक्त की किस्मत सोने सी चमक उठती है.
ये संयोग कभी-कभार ही आता है. ऐसा मौका विरले ही मिलता है. इस तरह के शुभ दिन का इंतजार भक्त सालों करते हैं. एक ऐसा दिन जब भक्तों पर सिर्फ भगवान की कृपा ही न बरसे बल्कि उनकी एक छोटी सी पूजा से समस्त इच्छापूर्ति का वरदान भी मिल जाए.
आज ज्येष्ठ मास की एकादशी यानी भद्रकाली एकादशी है. पुराणों में इस दिन की बड़ी मान्यता है. कहते हैं जब अपने आराध्य देव भगवान श्री राम और माता अंजनि की आज्ञा के बीच दुविधा में फंसे हनुमान ने एक भक्त की रक्षा के लिए पंचमुखी रूप धारण किया था, उस दिन भी भद्रकाली एकादशी थी. इस बार तो ये एकादशी महावीर के प्रिय दिन मंगलवार को पड़ी है जो इस दिन को और अधिक फलदायी बना रही है.
कहते हैं एक बार भगवान राम ने अपनी सभा में सभी राजाओं को आमंत्रित किया. काशी नरेश विक्रमादित्य भी इस सभा में शामिल होने निकल पड़े. रास्ते में विक्रमादित्य की मुलाकात देव ऋषि नारद से हुई. नारद मुनि से काशी नरेश से कहा कि आप भगवान राम की सभा में जाकर सभी का अभिनंदन करें सिवाय विश्वामित्र के. नारद मुनि की ये बात सुनकर काशी नरेश चिंता में पड़ गए और कहा इससे तो विश्वामित्र क्रोधित हो जाएंगे. नारद मुनि ने विक्रमादित्य को इस बात की चिंता करने से मना किया.
काशी नरेश भगवान राम की सभा में पहुंचे और वैसा ही किया जैसा उन्हें नारद मुनि ने कहा था. राजा के इस व्यवहार से विश्वामित्र बहुत दुखी हुए और भगवान राम से काशी नरेश का वध करने को कहा. ये बात सुनकर काशी नरेश नारद मुनि के पास पहुंचे. नारद मुनि ने राजा को माता अंजनि की शरण में जाने को कहा. राजा ने माता अंजनि के पास पहुंचकर अपने प्राणों का रक्षा की गुहार लगायी. राजा की बात सुनकर माता अंजनि ने हनुमान से राजा की रक्षा करने को कहा.
हनुमान के लिए ये बड़ी दुविधा थी क्योंकि एक तरफ उनके आराध्य भगवान राम तो दूसरी ओर माता अंजनि की आज्ञा का पालन करना था. तब हनुमान विक्रमादित्य को समुद्र के बीचों-बीच एक द्वीप पर ले गए और राम नाम जपने को कहा. जब राम वध करने पहुंचे तो राजा को राम नाम जपते देखकर उनका वध न कर सके और राजा से उनकी रक्षा करने वाले के बारे में पूछा. विक्रमादित्य ने भगवान राम को हनुमान का नाम बताया और तभी हनुमान पंचमुखी रूप में प्रकट हुए. तभी से हनुमान के पंचमुखी रूप की महिमा दूर-दूर तक फैल गयी.