शुक्रवार, 27 सितंबर को चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध है. चतुर्दशी पर सिर्फ उन्हीं लोगों के श्राद्ध किए जाते हैं जिनकी अकाल मृत्य हुई हो. जिनकी मृत्यु स्वाभाविक तरीके से हुई हो इस दिन उनका श्राद्ध करना मना है. महाभारत में भी कहा गया है कि चतुर्दशी तिथि पर उन्हीं का श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु असमय हुई है.
चतुर्दशी तिथि पर करें इनका श्राद्ध
जिन लोगों की मृत्यु किसी दुर्घटना में हुई हो या किसी जहरीले जानवर के काटने से हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है. आमहत्या करने वाले लोग, जिनकी हत्या हुई हो या किसी हथियार से मरे व्यक्ति का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है.
महाभारत में भी जिक्र
अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि जिन लोगों की मृत्यु अकाल हुई है यानी जिनकी मृत्यु स्वाभाविक तरीके से न हुई हो, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर ही करना चाहिए.
जिनकी मृत्यु स्वाभाविक रूप से हुई हो उनका श्राद्ध इस तिथि पर नहीं किया जाता है. पंडितों के अनुसार स्वभाविक मौत मरने वालों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करने से श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं.
कूर्म पुराण में भी इस बात का जिक्र है कि चतुर्दशी पर स्वाभाविक रूप से मृत लोगों का श्राद्ध करना संतान के लिए शुभ नहीं होता है.
अमावस्या पर करें विशेष श्राद्ध
अमावस्या तिथि पर उनका श्राद्ध करें, जिनकी मृत्यु तिथि आपको याद नहीं हैं. इस दिन परिवार के सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए विशेष श्राद्ध करना चाहिए. पितरों के नाम पर जरूरतमंदों को धन और अनाज का दान करें.