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कोरोना वायरस के चलते SC ने पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा पर लगाई रोक

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 23 जून से शुरू होने वाली पुरी रथ यात्रा पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया है.

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जगन्नाथ पुरी वार्षिक रथ यात्रा पर लगी रोक
जगन्नाथ पुरी वार्षिक रथ यात्रा पर लगी रोक

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सुप्रीम कोर्ट ने पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर रोक लगा दी है. ये फैसला कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से लिया गया है. रथ यात्रा पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, 'लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हम इस साल रथ यात्रा रोकने को उचित मानते हैं और इस बात का निर्देश दिया जाता है कि ओडिशा के मंदिर क्षेत्रों में किसी भी रथ यात्रा का आयोजन ना किया जाए.'

ओडिशा कैबिनेट ने भी रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का फैसला किया है. ओडिशा सरकार COVID-19 महामारी के मद्देनजर इस साल पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आयोजित नहीं कराएगी. ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की आपातकालीन बैठक में लिया गया.

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इतिहासकार असित मोहंती ने बताया कि ऐतिहासिक साक्ष्य के अनुसार रथ यात्रा की शुरूआत 13 वीं शताब्दी से शुरू हुई थी. पिछले 284 वर्षों में रथ यात्रा को कभी भी रद्द नहीं किया गया है. हालांकि इतिहास में कई बार अलग-अलग शासकों के आक्रमण के कारण भी कई बार रथ यात्रा रोकनी पड़ी थी लेकिन फिर कुछ अवसरों पर ये रथ यात्रा मंदिर परिसर के अंदर आयोजित की जाती थी.

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रथयात्रा की विशेषता

भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी से आरंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार जनसामान्य के बीच जाते हैं, इसलिए इसका इतना ज्यादा महत्व है. रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उनके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं. इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

ओडीशा में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. रथयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ और संक्रमण के खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुरी रथ यात्रा पर रोक लगाने का फैसला किया है.

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आपको बता दें ये रथ यात्रा 23 जून से शुरू होने वाली थी और इसमें करीब 10 से 12 लाख लोगों के आने की उम्मीद जताई जा रही थी. रथयात्रा का ये कार्यक्रम कई दिनों तक चलता है.

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