आज शनि जयंती है जो आई है शनि के ही प्रिय दिन शनिवार को औऱ उनके प्रिय अंक 8 तारीख को. कई दुर्लभ योगों के साथ इस बार शनि जयंती का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है. सुबह से भक्तों की भारी भीड़ मंदिरों में जुटनी शुरू हो गयी थी. दिल्ली के शनि मंदिर में कोई तेल चढ़ाकर तो कोई महज शनिदेव के दर्शन कर पुण्य कमा रहा है. अहमदनगर में शनि के सबसे बड़े धाम शनि शिंगणापुर और इंदौर के शनि मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा है. देशभर में श्रद्धालु इस दिन पुण्य कमाने के लिए आतुर दिखाई दिए.
शनिदेव की क्रूर दृष्टि अगर आपके जीवन में उथल-पुथल मचा रही है तो ये खुशखबरी आपके लिए है. शनि की टेढ़ी चाल से अगर आप परेशान हैं तो ये आपके लिए भी खुशखबरी है. शनिदेव से अगर आप कुछ मांगने के लिए सोच रहे हैं तो आज का दिन आपके लिए भी है.
इस बार शनि जयंती पर आपको मिल सकता है शनिदेव का पूर्ण आशीर्वाद. उनकी वक्री दृष्टि से आपके जीवन में सुख समृद्धि की बरसात हो सकती है. क्योंकि कई साल बाद शनिवार को पड़ी है शनिदेव जयंती, और उसपर शनि का अपनी उच्च राशि तुला में होने से बन रही है सोने पर सुहागा की स्थिति. क्योंकि तुला राशि में होने के कारण शनि की क्रूरता में कमी आएगी.
अतिशुभ है शनि जयंती
हिन्दू धर्म के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है. शनि जयंती का ये पर्व इस बार शनिवार को पड़ा है. एक तरफ जहां शनि जयंती शनिवार को पड़ी है वहीं इस दिन 8 तारीख है. 8 अंक शनि का अंक माना जाता है जिसमें शनि की समस्त शक्तियां समाहित होती हैं. वहीं इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व अमृत योग के साथ ही रोहिणी नक्षत्र का अद्भुत संयोग भी कई वर्ष बाद बन रहा है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन शनि से प्रभावित जातकों को पूजा का विशेष लाभ मिलेगा.
शनि कैसे लाएगा खुशहाली
ज्योतिषियों का कहना है कि इस जयंती पर अगर शनि से जुडे दान कर कुछ मंत्रों का जाप कर लिया जाए तो बढ़ते कर्ज से मुक्ति पाने में मदद मिलेगी. शत्रुओं पर विजय मिलेगी और जी का जंजाल बन चुकी बीमारियां ठीक होने लगेंगी. जो जातक साढ़ेसाती, ढैय्या के प्रभाव के साथ ही शनि की महादशा व अंतर्दशा या जन्म कुण्डली में शनि के विषम प्रभाव के होने से परेशान हैं, शनि जयंती पर शनि देव का तेल से अभिषेक करने भर से उन्हें मिल जाएगी राहत.
कहने को तो शनिदेव सूर्यपुत्र हैं लेकिन पिता सूर्य से शनि की कभी नहीं बनी. इतना ही नहीं, एक बार तो शनिदेव को मां के प्रकोप को भी झेलना पड़ा. जिसके बाद शनिदेव की चाल ही बदल गयी.
न्याय के देवता शनि, कलयुग के देवता शनि, अपनी टेढ़ी चाल से सबको डराने वाले शनि और सरसों के तेल से प्रसन्न होने वाले शनि महाराज को वैदिक ज्योतिष में बेहद अहम माना जाता है. सनातन धर्म में शनि की अहमियत का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि शनि को सिर्फ ग्रह नहीं, बल्कि देवता माना जाता है और देवता भी न्याय का.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, ज्येष्ठ महीने में शनिवार की अमावस्या के दिन सूर्य की पत्नी छाया ने पुत्र को जन्म दिया. जिनका नाम रखा गया- शनि. सूर्य जब अपने पुत्र को देखने पहुंचे तो उनके तेज से झुलसकर शनि का रंग काला पड़ गया. सूर्य को अपनी इस गलती का एहसास हुआ लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी और इसका परिणाम सूर्य को तुरंत भुगतना पड़ा. अपने पुत्र शनि को नज़र भर देखते ही सूर्य का सारा तेज धुंधला पड़ गया. सूर्य को ग्रहण लग गया, लेकिन कहते हैं तब से शनि का रंग हमेशा के लिए काला हो गया.
सिर्फ शनि के काले रंग की ही नहीं उनकी टेढ़ी चाल की कहानी भी बहुत अनोखी है. कहते हैं कि ये कहानी शनि महाराज के गुस्सैल स्वभाव से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि शनि जब बालक थे, तो एक दिन उन्होंने अपनी मां छाया से भोजन मांगा. भोजन मिलने में देरी हुई तो गुस्से में उन्होंने छाया को लात मार दिया. शनि की इस हरकत से गुस्साई छाया ने उन्हें लंगड़ा होने का शाप दे दिया.
कहते हैं तभी से शनि की चाल टेढ़ी हो गई और उनका खौफ और बढ़ गया. लेकिन शनिदेव ने अपनी गलतियों से सबक सीखते हुए ये प्रण लिया कि कलियुग में कोई भी झूठ बोलेगा या किसी के साथ अन्याय होगा तो वो शनि के कोप का शिकार होगा. यही वजह है कि उनकी टेढ़ी चाल भक्तों को अधर्म और अन्याय करने से रोकती है.
शनि से कौन नहीं डरता. उनकी वक्री दृष्टि का खौफ तो कुछ इस कदर है कि भक्त उनसे नजरें नहीं मिला पाते. लेकिन अगर हम ये कहें कि आज आपके पास ये मौका है जब आप कलियुग के देवता से आंखें मिलाकर मांग लीजिए कोई भी वरदान तो यकीन मानिए शनि आपको निराश नहीं करेंगे. जी हां छिंदवाड़ा में शनिदेव का एक ऐसा ही मंदिर है जहां आंखों में आंखें डालकर भक्त करते हैं अपने भगवान से फरियाद.