विश्व प्रसिद्द श्रावणी मेला पर कोरोना का संकट गहरा गया है. सैकड़ों वर्षों से देवघर और दुमका में लगने वाले मेले पर ग्रहण लग गया है. कोरोना काल में राज्य सरकार मेला आयोजित कराने को लेकर कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहती. राज्य सरकार ने अभी श्रावणी मेला और रथ मेला के आयोजन को रद्द करने की घोषणा नहीं की है. लेकिन इस विशाल मेले को लेकर जो तैयारियां होनी चाहिए थीं वो नहीं हो रही हैं.
राज्य के मुख्यमंत्री देवघर श्राइन बोर्ड के चेयरमैन हैं. उन्होंने देवघर श्रावणी मेले के आयोजन को लेकर कहा कि राज्य में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. प्रवासी मजदूर अपने साथ कोरोना लेकर आए हैं. ऐसे में फिलहाल कोई भी फैसला लेना संभव नहीं है. कांवड़ यात्रा पर भी संशय बना हुआ है. राज्य के कृषि मंत्री और देवघर श्राइन बोर्ड के सदस्य बादल पत्रलेख ने भी देवघर मेला को लेकर कहा कि सरकार को डर है कि कहीं भक्त पैदल ही देवघर पूजा करने ना निकल पड़ें. साथ ही कोरोना का संक्रमण आस्था पर भारी ना पड़ जाए.
329 साल से लग रहे इस मेल पर भी संकट
बिहार के सुल्तानगंज से जल लेकर कांवरिया देवघर पहुंचकर देवघर के बाबा धाम स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं. देवघर श्रावणी मेला के साथ साथ रांची के जगरनाथपूर में 329 साल से लगातार आयोजित होने वाले रथ मेले पर भी संकट के बादल गहराने लगे हैं. दोनों धार्मिक आयोजनों पर सरकार ने अभी तक कोई स्पष्ट फैसला नहीं लिया है. श्रावणी मेला में दो से ढाई लाख श्रद्धालु हर दिन बाबा के शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं.
दुनियाभर के श्रद्धालु भक्तों का पूरे सावन महीने में जमावड़ा रहता है. लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री, मंत्री के साथ-साथ आपदा सचिव का बयान आ रहा है, ऐसे में श्रावणी मेला के आयोजन टलने की पूरी संभावना है. आपदा प्रबंधन के सचिव ने भी साफ कहा है कि केंद्र सरकार ने पहले ही धार्मिक आयोजनों और समागम पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है.
श्रावणी मेला को लेकर डेढ़ माह पहले से पूरी तैयारी शुरू हो जाती हैं. टेंडर, रूट चार्ट, शिविर और बैरिकेटिंग करने का काम एक महीना पहले ही शुरू हो जाता है. हजारों की संख्या में सुरक्षा बलों को प्रतिनियुक्त किया जाता है. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के खौफ से ऐसी कोई तैयारी अभी तक नहीं हो सकी है. ऐसे में श्रावणी मेला और रथ मेला के आयोजन को रद्द करने की औपचारिकता ही बाकी रह गई है.