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जब भगवान शिव ने तोड़ दिए पूषन देव के दांत...

सूर्य देव के 12 रूपों में से एक पूषन देव माने जाते हैं और इन्हें रक्षा करने वाला देव माना जाता है. वेदों के अनुसार इनके दांत नहीं हैं क्योंकि भगवान शिव ने इनके दांत तोड़ दिए थे...

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भगवान पूषन
भगवान पूषन

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वेदों में पूषन देव को धर्म ग्रंथों में रक्षा करने वाले एक वैदिक देवता बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार, इनको सूर्य के बारह रूपों 12 आदित्य में से एक माना गया है. कहीं-कहीं पर इनको सूर्य के दूत के रूप में भी चित्रित किया गया है.

पूरे संसार में ये सभी की रक्षा करने के लिए घूमते रहते हैं. खासतौर पर ये सभी का मार्ग दर्शन करते हैं, इसीलिए इन्हें पथ प्रदर्शक देवता के रूप में भी गिना जाता है. मान्यता है कि इनके दांत नहीं हैं.

शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर ने तोड़े थे पूषन के दांत
पौराणिक कथा है कि पूषन दक्ष यज्ञ में शामिल होने गए थे, लेकिन यज्ञ में शिव की पत्नी उमा ने अपना शरीर यज्ञ की आग में समर्पित कर दिया था. वहां इन्होंने शंकर भगवान की हंसी उड़ाई थी. तैत्तिरीयसंहिता में भी उल्लेख मिलता है कि इनके दांत नहीं थे पर कथा कुछ अलग है. कहते हैं कि देवताओं द्वारा दिए गए हविर्भाग को खाने से इनके दांत टूट गए थे.

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भगवान शंकर द्वारा इनके दांत तोड़ने का उल्लेख शास्त्रों में इस तरह है-
पूषानपत्य: पिष्टदो भग्रदन्तोऽभवत् पुरा। योऽसौ दक्षाय कुपितं जहास विवृतद्वज:॥
अर्थ- संतानहीन पूषा ने एक बार बहुत बड़ी भूल की थी. भगवान शंकर दक्षयज्ञ को तहस-नहस करने आए थे. तब पूषन दांत दिखाकर हंस रहे थे. इससे शिव को क्रोध आ गया. उन्होंने इनके दांत हमेशा के लिए तोड़ दिए.

ऋग्वेद में मिलता है पूषन की महिमा का बखान
वेदों के अनुसार इन्हें बहुत ही तेजस्वी माना गया है. ऋग्वेद के 8 सूक्तों में पूषन देवता की महिमा का बखान मिलता है. रुद्र की तरह ही इनकी भी दाढ़ी व जटाए हैं. दांत नहीं होने के कारण ये तरल रूप में ही भोजन ग्रहण करते हैं. इनके पास सोने का एक भाला और एक अंकुश रहता है.

आकाश में वास करते हैं पूषन
पूषन रहते तो आकाश यानी देवलोक में हैं लेकिन इनकी नजर सब पर रहती है. सभी प्राणियों को एक साथ देख सकते हैं. समूचे विश्व का निरीक्षण करते हुए हमेशा पृथ्वी और आकाश के बीच घूमते रहते हैं.

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