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मां अन्नपूर्णा की पूजा करते समय इन बातों का रखें ध्यान

जानिए, मां अन्नपूर्णा की उपासना का क्या महत्व है और इनकी पूजा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए....

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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मां भगवती का वह स्वरूप जिससे संसार को भरण पोषण और अन्न वस्त्र मिल रहा है वे अन्नपूर्णा स्वरूप हैं. माना जाता है कि दुनिया में समस्त प्राणियों को भोजन मां अन्नपूर्णा की कृपा से ही मिल रहा है.

भगवान शिव चूंकि समस्त सृष्टि का नियंत्रण अपने परिवार की तरह करते हैं. अतः उनके इस परिवार की गृहस्थी मां अन्नपूर्णा चलाती हैं. मां अन्नपूर्णा की उपासना से समृद्धि, सम्पन्नता और संतोष की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही साथ व्यक्ति को भक्ति और वैराग्य का आशीर्वाद भी मिलता है.  

किन दशाओं में मां अन्नपूर्णा की पूजा-उपासना विशेष फलदायी होती है?

- अगर कुंडली में दरिद्र योग या दिवालिया होने का योग हो.

- अगर कुंडली में गुरु-चांडाल योग हो.  

- अगर शनि पंचम, अष्टम या द्वादश भाव में हो.  

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- अगर राहु द्वितीय या अष्टम भाव में हो.  

- अगर कुंडली में विष योग हो.  

मां अन्नपूर्णा की पूजा में किन-किन बातों की सावधानी रखनी चाहिए?

- मां अन्नपूर्णा की पूजा प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में या संध्याकाल में करनी चाहिए.

- पूजा के समय लाल, पीले और श्वेत वस्त्र धारण करें.

- भगवती अन्नपूर्णा को कभी भी दूर्वा (दूब) अर्पित न करें.

- मंत्र जाप के लिए तुलसी की माला का प्रयोग न करें.

- अपनी माता और घर की स्त्रियों का सम्मान करें.

किस प्रकार करें मां अन्नपूर्णा की पूजा ताकि दरिद्रता का नाश हो और सम्पन्नता की प्राप्ति हो?

- मां अन्नपूर्णा की पूजा रोज भी कर सकते हैं या केवल शुक्रवार को भी कर सकते हैं.  

- मां अन्नपूर्णा के चित्र के समक्ष घी का दीपक जलाएं.  

- संपूर्ण भोजन जरूर चढ़ाएं.  

- ध्यान रखें कि भोजन अर्पण के पूर्व घर में किसी ने भोजन ग्रहण न किया हो.   

- तत्पश्चात अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ करें या मां के मंत्र का जाप करें.

- इसके बाद अर्पित किए गए भोजन को प्रसाद की तरह ग्रहण करें.

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