इलाहाबाद की कुंभ नगरी दिन में जितनी खूबसूरत लगती है रात में उतनी ही रंगीन लगती है. इस कुंभ नगरी के रात के नजारे को देख कर ऐसा लगता है मानो करोड़ों सितारे ब्रह्मांड से उतर कर धरती पर आ गए हों. इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए श्रृद्धालु दिन से ज्यादा रात में संगम आते हैं.
संगम नगरी इलाहाबाद में लगने वाले महाकुम्भ 2013 के लिए एक नया शहर बसाया गया है. इस नए बसे शहर को रात मे रोशन करने के लिए विद्युत विभाग ने विशेष तैयारी की है. यानी की संगम की रेती पर बसने वाले इस शहर में रात में सितारे जमीन पर उतर आएंगे. तंबुओं की इस नगरी को जगमगाने के लिए विद्युत विभाग ने 100 करोड़ से ज्यादा का बजट आवंटित किया है.
इस छोटे से शहर के लिए बिजली की विशेष व्यवस्था की गई है. पूरे मेला क्षेत्र मे बिजली विभाग सौ करोड़ की लागत से बिजली व्यवस्था चुस्त दुरुस्त करेगा और बिजली विभाग का काम पूरा होने के बाद पूरा मेला सौ करोड़ की चांदनी से नहा उठेगा. इस बार का कुम्भ मेले को 14 सेक्टर में बसाया गया है जो 58.03 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ. मेले में आने वाले यात्रियों की कुल संख्या 8 से 10 करोड़ के बीच होगी.
मेले में बिजली की सप्लाई के लिए 800 किलोमीटर की इलेक्ट्रिक वायर का इस्तेमाल किया गया है और 48 पावर सब स्टेशन बनाये गए है. देर शाम मेले के चप्पे चप्पे को रोशन करने के लिए 25000 स्ट्रीट लाइट लगाई गई है और क़रीब उतने बिजली के खंबे लगाए गए हैं. साथ ही 103 ट्रांसफार्मर और 52 पावर स्टेशन बनाए गए है. इस के अलावा विशेष समय के किए 45 जनरेटर रखे गए है. मेले में कुल बिजली की खपत 35 एमबीए की है जिस के लिए अतरिक्त बिजली की व्यवस्था की गई है. बिजली विभाग का कुल बजट क़रीब 106 करोड़ का है.
इस सौ करोड़ की चांदनी से संगम का नज़ारा ऐसा हो जाता है मानो करोड़ दीपक एक साथ रोशन हो गए हों. संगम को रौशन करने का काम करीब 6 महीने पहले से ही शुरू हो गया था जो अब जा कर पूरा हुआ है. इस बार मेले को जगमग करने के लिए विशेष फ्लोरोसेंट लाइट का इस्तेमाल किया गया है. रात होते ही पूरे संगम क्षेत्र को इन लाइट से रोशन कर दिया जाता है जिसके चलते संगम का पूरा नज़ारा बेहद ही रंगीन हो जाता है. अगर किसी ऊंचाई से संगम को देखा जाएं तो ऐसा लगता है मानों सितारे जमीन पर उतर आयें हों.