ओंकारेश्वर में स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन से केवल महादेव के ही नहीं बल्कि मां पार्वती के दर्शनों का भी सौभाग्य मिलता है. ओंकारेशवर राजा मान्धाता की तपस्थी रही है और महादेव के इस धाम में होने वाली तीन बार की आरती का विशेष महत्व माना जाता है.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रात की शयन आरती के बाद इस मंदिर में एक अनोखी रस्म होती है. इसमें पूरे विधि-विधान के साथ शिव-पार्वती की आराधना होती है. ओंकारेश्वर के दर्शन मात्र से सात जन्म संवर जाते हैं.
वहीं, गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारका से 20 किमी दूर नागेश्वर धाम है. 12 ज्योतिर्लिंगों में नागेश्वर की अपनी एक अलग महिमा है, जो भगवान और एक भक्त कहानी सुनाता है. यह कहानी है भक्त की रक्षा के लिए भगवान के अवतरित होने की कहानी, कैसे भगवान ने साक्षात प्रकट होकर एक पिंडी को जागृ होने का वरदान दे दिया.
नागेशवर ज्योतिर्लिंग में न केवल महादेव बल्कि मां पार्वती नागेश्वर-नागेश्वरी के रूप में पूजे जाते हैं. मान्यता है कि जिसने भी सपरिवार यहां आकर महादेव का अभिषेक कर लिया उसके भाग्य संवरते देर नहीं लगते.