आध्यात्मिक गुरु माता अमृतानंदमयी देवी ने अमेरिका में आयोजिक एक कार्यक्रम में कहा कि आध्यात्म का रास्ता करुणा के साथ ही शुरू और समाप्त होता है. उन्होंने कहा कि मानव की गणना गलत हो सकती है, लेकिन सच्ची करुणा से जन्मे कार्य हमेशा सही होंगे.
माता आनंदमयी ट्रस्ट की ओर से यहां जारी एक बयान में बताया गया है कि अमृतानंदमयी देवी ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर कम्पैशन एंड अल्ट्ररूइज्म रिसर्च एंड एजुकेशन (सीसीएआरई) के संस्थापक और निदेशक तथा प्रमुख न्यूरोसर्जन और समाजसेवी डॉ. जेम्स डॉटी के साथ आध्यात्मिकता पर बातचीत की.
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के 1700 सीट वाले मेमोरियल हॉल में चल रहे सीसीएआरई के 'करुणा पर संवाद' श्रृंखला के तहत अम्मा ने अपने 90 मिनट की बातचीत में कहा कि मेरी नजर में हमारे जीवन में करुणा का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. यह हमारे द्वारा उठाया गया पहला कदम है. यदि हम डर के बिना हिम्मत से इस दिशा में पहला कदम उठाते हैं, तो हमारे सभी निर्णयों और बाद के कार्यों और उनके परिणामों में विशेष सौंदर्य, सहजता और शक्ति निहित होगी.
बयान के अनुसार डॉ. डॉटी के सवालों का जवाब देते हुए अम्मा ने कहा कि मानव की गणना गलत हो सकती है, लेकिन सच्ची करुणा से जन्मे कार्य हमेशा सही होंगे. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि दया प्रकृति का नियम है, भगवान की शक्ति है और रचना का केंद्र है. जब हम करुणा के साथ मानव मन का तालमेल बिठाते हैं, तब हम व्यक्ति के रूप में, वास्तव में लंबे समय तक कार्यों का प्रदर्शन नहीं कर रहे होते हैं, बल्कि हमारे द्वारा केवल सृजन के माध्यम से कार्य करने के लिए अनुमति मिल रही होती है, और यह करुणा की शक्ति है. वास्तव में आध्यात्म का रास्ता करुणा के साथ ही शुरू और समाप्त होता है.
58 वर्षीय डॉ. डॉटी ने सीसीएआरई की शुरुआत वर्ष 2007 में अपने परम पावन दलाई लामा से मिले आरंभिक दान से की थी. सीसीएआरई कठिन अनुसंधान, वैज्ञानिक सहयोग और शैक्षिक सम्मेलनों के माध्यम से व्यक्तियों और समाज के भीतर करुणा पैदा करने और परोपकारिता को बढ़ावा देने में सक्रिय है.
उल्लेखनीय है कि 60 वर्षीय अम्मा ने अपने पूरे जीवन में तीन करोड़ 40 लाख से अधिक लोगों को गले लगाया और उन्हें शान्ति प्रदान की. आध्यात्मिक गुरु के रूप में विख्यात अम्मा का आश्रम दक्षिणी केरल के कोल्लम जिले में मुख्यालय में स्थित है.