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कुंभनगरी में दिख रहे बाबाओं के विविध रंग

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सोमवार से शुरू हुए दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले में आए हुए साधु संतों के अलग-अलग रूप-रंग यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. कहीं चटपटिया बाबा हैं, तो कहीं एक डंडे से सब दुख दूर करने वाले महागौरी जी महाराज और कहीं 40 वर्षो तक बिना सोए जाग रहे फलाहारी बाबा.

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महाकुंभ में बाबाओं का मेला
महाकुंभ में बाबाओं का मेला

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सोमवार से शुरू हुए दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले में आए हुए साधु संतों के अलग-अलग रूप-रंग यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. कहीं चटपटिया बाबा हैं, तो कहीं एक डंडे से सब दुख दूर करने वाले महागौरी जी महाराज और कहीं 40 वर्षो तक बिना सोए जाग रहे फलाहारी बाबा.

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कुम्भ नगरी यूं तो 29 सेक्टरों में फैली हुई है, लेकिन इस धार्मिक मेले में दूर-दूर से आने वाले बाबाओं की ख्याति भी अब चारों ओर फैल रही है. इन बाबाओं की महिमा और साधना से दो-चार होने के लिए श्रद्घालु भी खिंचे चले आ रहे हैं.

महाकुंभ में अखाड़ा रोड के निकट पटरी किनारे बैठे चटपटिया बाबा राजस्थान के भरतपुर से आए हुए हैं. उदासीन अखाड़े से जुड़े इस बाबा को देखने के लिए प्रतिदिन भारी भीड़ जुट रही है. चटपटिया बाबा हमेशा बंदर का अभिनय करते हैं. वह ऐसे-ऐसे करतब करते हैं कि बंदर भी पीछे छूट जाएं. वह हनुमान जी के भक्त हैं और उन्हें बंदरों से बड़ा लगाव है. लोग बताते हैं कि उनके आश्रम में बंदरों की बड़ी संख्या हैं, जिनके साथ वह वक्त बिताते हैं.

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इसी तरह, महागिरी जी महाराज बाबा कुशीनगर से आए हुए हैं. उनके हाथ में एक बड़ा सा डंडा रहता है. उनका दावा है कि डंडे के स्पर्श मात्र से शरीर के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. महागिरी जी महाराज ने बताया वर्षो तक साधना में लीन रहने के बाद ही उन्होंने यह प्रसिद्धि हासिल की. उनके आसपास मौजूद भीड़ भी उनसे सहमत है. तभी तो उनकी कुटिया के बाहर अपना दुख-दर्द मिटाने वालों की लम्बी लाइन लगी हुई है.

इन दोनों बाबाओं के इतर एक और बाबा हैं, फलाहारी बाबा, जो विश्व कल्याण की कामना लिए इस धार्मिक मेले में आए हुए हैं. इनके भक्तों का दावा है कि बाबा 40 वर्षो से सोए नहीं हैं. ये बाबा श्री पंचायती अखाड़े से जुड़े हुए हैं.

भक्त बताते हैं कि बाबा आठ से 10 घंटे तक पानी में खड़े रहकर साधना करते हैं. बाबा की मानें तो वह 24 घंटों में केवल आधे घंटे के लिए ही आंखें बंद करते हैं. फलाहारी बाबा के नाम से मशहूर इस संत ने पिछले चार दशकों से नमक, मीठा और अन्न का त्याग कर रखा है.

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