scorecardresearch
 

पितृपक्ष के आखरी दिन वाराणसी में लोगों पितरों के लिए ने किया त्रिपिंडी श्राद्ध

कहा जाता है कि मोक्ष की नगरी के नाम से जानी जाने वाली काशी में प्राण त्यागने वाले हर इंसान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं.

Advertisement
X

कहा जाता है कि मोक्ष की नगरी के नाम से जानी जाने वाली काशी में प्राण त्यागने वाले हर इंसान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं. जो लोग काशी से बाहर या अकाल प्राण त्यागते हैं, उनके मोक्ष के लिए परिजनों द्वारा काशी में त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है. काशी के सबसे प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर होने वाले त्रिपिंडी श्राद्ध की बहुत मान्यताएं हैं. इसलिए पितृ विसर्जन के दिन वाराणसी के घाटों पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली.

Advertisement

वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट पर सैकड़ों ने किया पिंडदान
पितृपक्ष के आखिरी दिन वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट पर सैकड़ों भक्तों ने पिंडदान व तर्पण कर अपने पितरों के मोक्ष के लिए कामना की. शास्त्रों की मान्यता के अनुसार पितरों की मुक्ति के लिये काशी में पिंडदान करने का विधान है. पूरे पितृपक्ष के दौरान यहां पिंडदान करने वालों का तांता लगा रहता है. सोमवार को पितृपक्ष के अंतिम दिन लोगों ने पिंडदान के साथ ही तर्पण कर अपने पितरों के लिये मोक्ष मांगा.

काशी में मोक्ष के लिए मान्यताएं
वेदों-पुराणों में भनवान शिव की नगरी काशी को मुक्ति की स्थली कहा गया है. ऐसा माना जाता है कि यहां मृत्यू होने से जीव सीधे शिवलोक को प्राप्त करता है, और मान्यताएं हैं कि शांति और मोक्ष के लिये काशी में तर्पण का कार्य किया जाता है. इसलिए पितृपक्ष के 15 दिनों में वाराणसी में लोगों की भीड़ श्राद्ध और तर्पण करने के लिए इकट्ठी होती है. जिससे उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो. यहाँ पिंड दान और तर्पण करने के लिए दूर-दूर से लोग आते है.

Advertisement
Advertisement