पतित पावनी गंगा के तट पर बसी है काशी नगरी. काशी शिव भक्तों की वो मंजिल है जहां सदियों से भक्त मोक्ष की तलाश में आते रहे हैं. साक्षात महादेव का आशीर्वाद पाने की कामना हो या मृत्यु पर विजय पाने की इच्छा, शिवभक्तों के लिए महामृत्युंजय मंदिर में हाजिरी मात्र पुण्य का भागी होने जैसा है.
वाराणसी के मैदागिन क्षेत्र में भोलेनाथ मृत्युंजय महादेव के रूप में विराजते हैं. इनके दर्शन मात्र से पूरी होती है मन की हर कामना. मान्यता है कि यदि कोई भक्त लगातार 40 सोमवार यहां हाजिरी लगाए और त्रिलोचन के इस रूप को फूलों के साथ दूध और जल चढ़ाए तो उसके जीवन से कष्टों का निवारण क्षण भर में हो जाता है. वाराणसी के महामृत्युंजय मंदिर में भक्त और पंडित निरंतर मंत्रोच्चारण में लगे रहते हैं ताकी महादेव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाया जा सके. अकाल मृत्यु से मुक्ति पाई जा सके.
सवा लाख बार मंत्र जाप से मिलता है लाभ
महामृत्युंजय मंदिर में रोज चमत्कार की नई कहानियां लिखी जाती हैं. मंदिर में दिन में 3 बार होने वाली आरती के दर्शन कर भक्त बनते हैं पुण्य के भागी. वैसे तो यहां शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. लेकिन विशेषतौर पर यहां मृत्यु के डर पर मिलती है विजय. मान्यता है कि अगर इस मंदिर में सवा लाख बार महामृत्युजंय मंत्र का जाप किया जाए तो सिर पर मंडरा रहा अकाल मृत्यु का खतरा हमेशा के लिए दूर हो जाता है.
कुंडली देखकर विशेष तिथि में मंत्र जाप
वैसे तो सोमवार को इस मंत्र का जाप फलदायी माना जाता है लेकिन फिर भी ज्योतिषीयों से सलाह मशविरा करने के बाद ही विशेष तिथि पर ही इस मंत्र का जाप करना उचित माना जाता है. दरअसल, जातक की कुंडली देखकर ही ज्योतिषी ये बताते हैं कि जातक पर मौत का खतरा कितना बड़ा है. इसी हिसाब से मंत्र के जाप और पूजा की तारीख तय की जाती है.
महामृत्युंजय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु का खतरा तो दूर होता ही है साथ ही राहु-केतु और शनि जैसे क्रूर ग्रहों के प्रभाव को भी कम किया जा सकता है. इन ग्रहों की टेढ़ी चाल में फंसी जिंदगी में महादेव के आशीर्वाद से खुशियां भरी जा सकती है.