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वास्तु में ईशान कोण है क्या, जिसका जिक्र मोदी ने अपने भाषण में किया?

पीएम मोदी ने जिस कोने का जिक्र किया, वास्तु शास्त्र में उसे बहुत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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पूर्वोत्तर के तीन विधानसभा चुनाव के नतीजे शनिवार को आ गए. त्रिपुरा में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज करते हुए राज्य की सत्ता माणिक सरकार से छीन ली. नगालैंड में पार्टी ने बढ़िया प्रदर्शन किया और मेघालय में भी पार्टी खाता खोलने में कामयाब रही. बीजेपी की इस ऐतिहासिक जीत के बाद नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. अपनी स्पीच के दौरान उन्होंने वास्तु के ईशान कोण का जिक्र किया.

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ईशान कोण को लेकर क्या कहा मोदी ने?

उन्होंने कहा, 'जो बात मैं कह रहा हूं उसे मैंने सुना है. हालांकि इसमें न मेरा ज्ञान है न मेरी आस्था है. जो इमारत बनाते हैं वो एक मान्यता रखते हैं.' मोदी ने कहा, 'वास्तु में इमारत की जो रचना होती है उसमें उत्तर कोण का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है. वास्तुशास्त्री इसका बहुत ध्यान रखते हैं. मतलब कि (घर बनाने में) एक बार नॉर्थ-ईस्ट ठीक हो गया तो पूरी इमारत ठीक हो जाती है. आज मुझे खुशी इस बात की है कि नॉर्थ ईस्ट का यह कोना विकास की यात्रा का देश में नेतृत्व करने आगे आया है.' बता दें कि मोदी ने जिस कोने का जिक्र किया वास्तुशास्त्र में उसे बहुत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है.

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वास्तु में क्या है ईशान का महत्व?

1. दरअसल, वास्तुशास्त्र में ईशान कोण जमीन के उस कोने को कहते हैं जो उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित होता है. यह उत्तर और पूर्व दिशा का मिलन बिंदु है. भारतीय नक़्शे के लिहाज से पूर्वोत्तर को प्रधानमंत्री ने ईशान कोण कहा.

2. वास्तुशास्त्र के मुताबिक़ ईशान कोण पर देवी-देवताओं और आध्यात्मिक शक्तियों का वास रहता है. किसी घर में ईशान कोण को सबसे पवित्र कोना माना जाता है. इसी वजह से इस दिशा में रसोई घर, शौचालय या कूड़ा-कचरा घर जैसे निर्माण पूरी तरह वर्जित माना जाता है.

3. धार्मिक शास्त्र में भगवान शिव का भी एक नाम ईशान है. उत्तर पूर्व दिशा में भगवान शिव के आधिपत्य की वजह से इस दिशा को ईशान कोण कहा जाता है. यह क्षेत्र सबसे शुभ, ऊर्जा का स्रोत माना जाता है.

4. इस क्षेत्र को इसलिए भी शुभ माना जाता है क्योंकि यहां पवित्र ईश्वरीय शक्तियां बढ़ती हैं. इस क्षेत्र में देवताओं के गुरु बृहस्पति और मोक्ष कारक केतु का वास होता है.

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