मौनी अमावस्या यानि वो दिन जब सूरज की पहली किरणों संग जग का ही नहीं मनुष्य के भीतर का भी अंधेरा दूर हो जाता है. गंगा यमुना का पावन जल धो देता है सब पाप और फिर उगता है उम्मीदों का नया सवेरा.
कहते हैं इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था और मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है, इसलिए इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं. इस व्रत पर मौन धारण का विशेष महत्व माना जाता है. मान्यता है कि मौन धारण कर व्रत का समापन करने वाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है.
अमावस्या के दिन ही मकर राशि में, सूर्य तथा चन्द्रमा का योग बनता है और यही वजह है कि अमावस्या का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता है जिसके कारण इस दिन पवित्र नदियों व तीर्थ स्थलों में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. लेकिन 178 साल बाद इस बार ग्रहों का कुछ ऐसा संयोग बन रहा है जो आपकी किस्मत को सोने सी चमका सकता है.
क्यों है ये महासंयोग
एक तरफ मौनी अमावस्या की सुबह सूर्य के नक्षत्र उत्तराषाढ़ के साए में होगी तो वहीं दूसरी ओर गुरुवार देव गुरु बृहस्पति का दिन और 30 तारीख जिसका पूर्णांक 3 गुरु का प्रिय अंक है, ऐसे में देवगुरु के दिन और दिनांक का महामिलन बेहद फलदायी साबित होगा. सूर्य के नक्षत्र में पड़ने के कारण जातक के आत्मबल में बढ़ोत्तरी और आध्यात्म के क्षेत्र में भारी सफलता का योग भी बन रहा है. इसके अलावा मां सरस्वती से जुड़ा ग्रह शुक्र धनु राशि में मौजूद है. गुरु की राशि में होने के साथ ही शुक्र व धन से जुड़े ग्रह बुध पर गुरु की पूर्ण दृष्टि भी पड़ेगी. आम भाषा में कहे तो गुरु की ये चाल शिक्षा, धन व आर्थिक क्षेत्रों में जातक को अपार सफलता दिलाने वाली साबित होगी.
सभी इच्छाएं होंगी पूरी
ज्योतिषियों का कहना है मकर राशि से दशम स्थान पर मौजूद शनि उच्च है जो शश योग का निर्माण कर रहा है. इस योग के कारण सभी तीर्थ स्थलों पर हर नदी, सरोवर के जल में गंगा के समान अमृत का प्रवाह होने लगेगा. ज्योतिष के जानकारों का ये भी मानना है कि इस दिन स्नान कर जो कोई भगवान शंकर का ध्यान उनकी पूजा कर लेगा उसकी इच्छाएं पूरी होते देर नहीं लगेगी.
मिलेगा जन्मों का पुण्य
वैसे तो इस इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान किया जा सकता है लेकिन जो भक्त त्रिवेणी के संगम में स्नान करते हैं उन्हें सौ हजार राजसूय यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है. इस दिन संगम में स्नान करना और अश्वमेघ यज्ञ करना दोनों के फल समान है. लेकिन अगर संगम या गंगा यमुना में स्नान नहीं कर पायें तो भी कोई बात नहीं. घर पर गंगा जल मिले जल से स्नान कर अगर आप विधि विधान से सूर्यदेव की उपासना और दान कर लेंगे तो पितरों का ही नहीं देवताओं का भी आशीर्वाद बरसेगा और मिल जाएगा कई जन्मों का पुण्य.