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राखी का त्योहार मनाकर वृंदावन की विधवा महिलाओं ने रचा इतिहास

अगर कुछ अच्छा करने के लिए परम्पराएं टूटती हैं तो यह समाज के लिए सबसे सुखद होता है. वृंदावन में विधवा महिलाओं ने सदियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए शनिवार को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया.

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वृंदावन में महिलाओं ने मनाया रक्षाबंधन
वृंदावन में महिलाओं ने मनाया रक्षाबंधन

अगर कुछ अच्छा करने के लिए परम्पराएं टूटती हैं तो यह समाज के लिए सबसे सुखद होता है. वृंदावन में विधवा महिलाओं ने सदियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए शनिवार को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया.

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वृंदावन की विधवाओं ने इस बार शहर के बच्चों, साधु-संतों और भद्रजनों को राखी बांधकर इतिहास रचा. वृंदावन की करीब 100 साल पुराने 'मीरा सहभागिनी' और 'चेतन विहार आश्रम' की कम से कम 100 विधवाओं ने इस त्योहार को मनाने के लिए रंग-बिरंगी करीब 1000 राखियां बनाई थीं.

जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी इन विधवाओं के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्होंने जुलाई के पहले सप्ताह से राखियां बनानी शुरू कर दी थी. विधवाओं ने पुरातन परम्परा को तोड़ते हुए स्थानीय पंडों, पुजारियों और ब्राह्मणों को राखियां बांधने के साथ स्कूली बच्चों के साथ बैठकर खाना भी खाया.

वृंदावन और वाराणसी की विधवाओं ने इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए भी राखियां बनाई हैं. ये विधवाएं प्रधानमंत्री को राखियां और मिठाइयां भेजेंगी. इन महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने की भी इच्छा जताई है. इसी के चलते रविवार को 2000 विधवा महिलाओं का नेतृत्व कर रही 10 महिलाएं मोदी से मिलने की उम्मीद से पीएम आवास भी जाएंगी.

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हमारे समाज में अंधविश्वास के चलते विधवा होने के बाद अक्सर ऐसी महिलाओं को अशुभ समझा जाता है. उन्हें रंगीन साड़ियां और आभूषण पहनना तथा लहसुन, प्याज खाने तक के लिए मना कर दिया जाता है. लेकिन उच्चतम न्यायालय की सलाह पर और 'सुलभ इंटरनेशनल' संस्था के प्रयासों से वृंदावन और वाराणसी की विधवाओं ने इस बार रक्षा बंधन का त्योहार मनाया.

 

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