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वृन्दावन: रंग खेलकर विधवाओं ने तोड़े कुरीतियों के बंधन

भगवान कृष्ण की लीलास्थली वृन्दावन में निवास करने वाली विभिन्न प्रदेशों की विधवा महिलाओं ने सदियों से चली आ रही कुरीतियों को तोड़ते हुए पहली बार अबीर-गुलाल से रंग भरी होली खेली. बुजुर्ग महिलायें, विधवायें एवं परित्यक्त महिलाओं में से ही कुछ एक ने राधा-कृष्ण तथा गोपियों के रूप धर कर एक-दूसरे से जमकर होली खेली.

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Symbolic Image
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भगवान कृष्ण की लीलास्थली वृन्दावन में निवास करने वाली विभिन्न प्रदेशों की विधवा महिलाओं ने सदियों से चली आ रही कुरीतियों को तोड़ते हुए पहली बार अबीर-गुलाल से रंग भरी होली खेली. बुजुर्ग महिलायें, विधवायें एवं परित्यक्त महिलाओं में से ही कुछ एक ने राधा-कृष्ण तथा गोपियों के रूप धर कर एक-दूसरे से जमकर होली खेली.

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इस कार्यक्रम में इन महिलाओं ने करीब ढाई कुंतल गुलाल व चार सौ किलो फूलों की वर्षा कर अपनी खुशी का इजहार किया. यह संभवत: पहला मौका था जब महिलाओं का उल्लास फूटा पड़ रहा था. उनको यह अवसर उपलब्ध कराया था गैर-सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल ने. इस संगठन ने वृंदावन की 1000 विधवाओं के जीवन-स्तर में सुधार के लिए न केवल तमाम उपाय किये हैं, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए भी तमाम प्रयास किये हैं.

इस मौके पर सुलभ इंटरनेशनल के मुखिया डा. बिन्देश्वरी पाठक ने कहा कि उन्होंने विधवा एवं समाज द्वारा परितयक्त महिलाओं को भी सामान्य जीवन व्यतीत करने का मौका देने के लिए होली के इस कार्यक्रम का आयोजन किया है.

पाठक ने बताया कि वृन्दावन में आयोजित इस कार्यक्रम से दुनिया भर में यह संदेश जाएगा कि भारत की विधवा महिलाओं ने सदियों से चली आ रहीं कुरीतियों की बेड़ियां तोड़ दी हैं. अब वे भी अन्य जनसामान्य के समान ही जीने का अधिकार रखती हैं. पाठक ने महिलाओं से अपील की कि वे मनचाहा भोजन करें, गाएं-बजाएं, अपनी इच्छानुसार गीत-संगीत के कार्यक्रमों में शामिल हों और यदि चाहे तो मनचाहे साथी के साथ शादी कर घर बसाएं.

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उन्होंने कहा कि अगले चरण में सुलभ का प्रयास होगा कि ये महिलाएं गांवों में शिक्षा एवं स्वास्थ्य की अलख जगाएं. उन्होंने कहा कि इन महिलाओं को नर्सिंग के सामान्य कार्यों का प्रशिक्षण देकर तथा अहानिकारक दवाओं की जानकारी देकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया जाएगा. पाठक ने बताया कि इसी प्रकार का आयोजन वाराणसी में भी किया जा रहा है.

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