कुम्भ मेला, विश्व का सबसे विशाल आयोजन है जिसमे अलग अलग जाति, धर्म, क्षेत्र के लाखों लोग भाग लेते हैं. कुम्भ भारतीयों के मस्तिष्क और आत्मा में रचा-बसा हुआ है.
ऐसी मान्यता है कि कुम्भ में स्नान करने से सारे पाप दूर हो जाते हैं और मनुष्य जीवन मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है. यहां पर अन्य गतिविधियां, धार्मिक चर्चा, भक्ति गायन का आयोजन किया जाता है जिसमे पुरुष, महिलाएं, धनी, गरीब सभी लोग भाग लेते है.
कुम्भ मेला (विशेष रूप से कुम्भ मेला) सभी हिंदू तीर्थ में पवित्र माना जाता है. लाखों पवित्र पुरुष और महिलाएं (संत और साधु) विश्वास के इस प्रतीक में भाग लेते है.
इस पवित्र स्थल ने लोगों के मन में विश्वास प्राप्त करके अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है. प्रसिद्ध प्राचीन यात्री, चीन के ह्वेन सांग पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कुम्भ मेले का उल्लेख अपनी डायरी में किया था. उनकी डायरी हिन्दू महीने माघ (जनवरी-फरवरी) के 75 दिनों के उत्सव का उल्लेख है, जिसको लाखों साधुओं, आम आदमी, अमीर और राजाओं ने देखा है.
जाति, धर्म, क्षेत्र के सभी सांसारिक बाधाओं के बावजूद, कुम्भ मेला का प्रभाव आम भारतीयों के मस्तिष्क और कल्पनाओं पर है. इतिहास में कुम्भ मेला लाखों लोगों के एकत्र होने के लिए प्रसिद्ध है. समय के साथ कुम्भ हिंदू संस्कृति और आस्था का एक केंद्र बन गया है. विभिन्न धर्म और सम्प्रदाय के लोग इस लौकिक आयोजन में सम्मिलित होते हैं.