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जानें, क्या है शनि का राजयोग और दुर्योग

परन्तु अगर कुंडली में मजबूत राजयोग हो तो, एक ही राजयोग या शुभ योग से कुंडली के दुर्योग नष्ट हो जाते हैं. शनि कर्म और उसके फल को नियंत्रित करता है इसलिए मानव जीवन में शनि की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. चूंकि शनि का फल देने पर आधिपत्य है इसलिए इसके राजयोग और दुर्योग सबसे ज्यादा प्रभावशाली होते हैं.

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भगवान शनि की मूर्ति
भगवान शनि की मूर्ति

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कुंडली में ग्रहों की ऐसी स्थिति जिससे जीवन में कम प्रयास में ही बड़ी सफलता मिलें, राजयोग कहलाती है. वहीं कुंडली में ग्रहों की स्थिति के कारण प्रयासों को बावजूद जब असफलता मिले तो ऐसी अवस्था दुर्योग कहलाती है. दुर्योगों के कारण व्यक्ति को असफलता उठानी पड़ती है तथा स्थायित्व में समस्या आती है.

परन्तु अगर कुंडली में मजबूत राजयोग हो तो, एक ही राजयोग या शुभ योग से कुंडली के दुर्योग नष्ट हो जाते हैं. शनि कर्म और उसके फल को नियंत्रित करता है इसलिए मानव जीवन में शनि की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. चूंकि शनि का फल देने पर आधिपत्य है इसलिए इसके राजयोग और दुर्योग सबसे ज्यादा प्रभावशाली होते हैं.

शनि से बनने वाले दुर्योग कौन से हैं और उनका प्रभाव क्या है?

- शनि का कुंडली के भौतिक सुख देने वाले भाव में बैठना एक प्रकार का दुर्योग है जो समस्या पैदा करता है.

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- शनि का नीच राशि में पाया जाना भी समस्या का बड़ा कारण बनता है.

- शनि का राहु या मंगल से सम्बन्ध होने पर दुर्घटना का प्रचंड दुर्योग बनता है.

- शनि का सूर्य से सम्बन्ध होने पर सर्प योग बनता है जो पिता-पुत्र के लिए घातक दुर्योग है.

- शनि का वृश्चिक राशि या चन्द्रमा से सम्बन्ध होने पर विष योग होता है जो व्यक्ति को वैराग्य और असफलताओं की ओर ले जाता है.

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शनि से बनने वाले शुभ योग या राजयोग और उनका प्रभाव?

- शनि अगर कुंडली के तीसरे, छठवें या ग्यारहवें भाव में स्थित हो तो व्यक्ति को अति पराक्रमी बनाता है.

- शनि अगर उच्च राशि या मूल त्रिकोण राशि में हो तो "शश" नामक पंचमहापुरुष योग बनता है.

- शनि अगर बृहस्पति की राशि में हो तो भी व्यक्ति अपार नाम-यश अर्जित करता है.

- शनि बृहस्पति और शुक्र के संयोग से "अंशावतार" नामक योग बनता है, जो व्यक्ति को दैवीय बना देता है.

- बिना शनि की कृपा के कोई भी बड़ा आध्यात्मिक योग प्रभावी नहीं होता.

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शनि के राजयोगों को मजबूत करने के और दुर्योगों को नष्ट करने के सरल और अचूक उपाय

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- हर शनिवार को या तो एक वेला उपवास रखें या सात्विक आहार ग्रहण करें.

- सायं काल पीपल के वृक्ष में जल डालें , वहीं पर सरसों तेल का दीपक जलाए और वृक्ष की परिक्रमा करें.

- तत्पश्चात शनि के तांत्रिक मंत्र का कम से कम १०८ बार जाप करें.

- किसी गरीब को अन्न और वस्त्र का दान करें.

- हल्के नीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें.

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