दिवाली पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. लेकिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश जी की भी पूजा होती है. गणेश को विघ्नों का नाश करने वाला माना जाता है. इसलिए कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा होती है.
कोई भी काम शुरू करने से पहले उसमें बाधा आने की आशंका रहती है. गणेश पूजन के बाद मन में विश्वास आ जाता है कि अब सारे कार्य निर्विघ्न समाप्त हो जाएंगे. इसलिए लक्ष्मी पूजन के पहले गणेश पूजन किया जाता है.
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श्री गणेश को विद्या और बुद्धि का स्वामी भी कहा जाता है. लक्ष्मी के साथ गणेश पूजन का सबसे बड़ा कारण यह है कि धन के साथ बुद्धि भी सदा साथ रहे. धन का होना तभी सार्थक है जब उसका सोच-समझकर सदुपयोग किया जाए. प्राय: देखने में आता है कि धन आ जाने पर मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है. उसमें बुराइयां जन्म ले लेती हैं. गणेश जी हमें सद्बुद्धि दें और उस सद्बुद्धि का आश्रय लेकर हम धनोपार्जन करें और उस धन का सही दिशा में उपभोग करें इसीलिए गणेश पूजन का बहुत महत्व है.
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मां सरस्वती के पूजन के पीछे भी यही मान्यता है कि विद्या ही मनुष्य का असली धन है. देवी सरस्वती हमें ज्ञान का प्रकाश और उच्च शिक्षा का वरदान दें यही कामना दिवाली पर की जाती है.
यही कारण है कि इन तीनों के पवित्र त्रिवेणी संगम के साथ दिवाली का पूजन किया जाता है.