फतेहगढ़ साहिब यानी कि ‘विजय का शहर’. दरअसल, पंजाब के एक शहर का नाम है और इसी शहर में है फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा है, जहां युवराज और हेजल ने शादी की. गुरुद्वारे और इस शहर का कितना महत्व है आइये जानते हैं…
धार्मिक महत्व
फतेहगढ़ साहिब खासतौर से सिक्खों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है. सिक्खों के लिए इसका महत्व इस लिहाज से भी ज्यादा है कि यहीं पर गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों साहिबजादा फतेह सिंह और साहिबजादा जोरावर सिंह को सरहिंद के तत्कालीन फौजदार वजीर खान ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था. क्योंकि दोनों ने धर्म परिवर्तन करने से इनकार कर दिया था.
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उनका शहीदी दिवस आज भी यहां लोग पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं. फतेहगढ़ साहिब जिला को यदि गुरुद्वारों का शहर कहा जाए तो गलत नहीं होगा.यहां पर कई गुरुद्वारे हैं, जिनमें से गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब का विशेष स्थान है.इसके अलावा भी इस जिले में घूमने लायक अनेक जगह हैं. मसलन, संघोल, आम खास बाग, माता चक्रेश्वरी देवी जैन मंदिर, फ्लोटिंग रेस्तरां आदि.
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ऐतिहासिक पहलू
यह शहर सिखों की विजय और आजादी का प्रतीक है. साल 1710 में सिखों और मुस्लिमों के बीच हुई युद्ध का प्रतीक, जिसमें सिखों की जीत हुई थी.आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह शहर कुल चार दरवाजों से घिरा है. इन दरवाजों का अपना पुरातात्विक महत्व भी है.
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शहीदी जोर मेला
फतेहगढ़ साहिब में दिसंबर के महीने में शहीदी जोर मेला लगता है. यह मेला दरअसल, शहीद नायकों के बलिदान की याद दिलाता है.