कलश स्थापना के साथ ही 1 अक्टूबर से देशभर में नौ दिनों तक चलने वाले शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो गया. शनिवार को नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की गई. झारखंड के मंदिरों और सिद्ध पीठों में भी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना भी शुरू हो गई. इस मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इन सिद्ध पीठों और मंदिरों में उमड़ी.
रजरप्पा के प्रसिद्द छिन्न मस्तिका सिद्धपीठ में भी माता की पूजा के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे. यह तंत्र विद्या का भी एक बड़ा केंद्र है. बताया जाता है कि दस महविद्याओं की सिद्धि हासिल करने के लिए किसी भी साधक को यहां आना ही पड़ता है क्योंकि दस महाविद्याओं में छठी मां छिन्नमस्तिका हैं.
पूरी होती है भक्तों की मनोकामना
शक्ति पूजा के पर्व नवरात्र का शनिवार को रामगढ़ के रजरप्पा स्थित सिद्ध पीठ में मां छिन्न मस्तिका की पूजा के साथ ही शुभारंभ हो गया. मां के विश्व प्रसिद्ध इस पीठ में लोग भारी संख्या में पहुंचे और पूजा-अर्चना की. ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने से लोगों की मनोकामना जरूर पूरी होती है.
ऐसे हुई मां छिन्न मस्तिका की उत्पति
मां छिन्न मस्तिका की उत्पति के बारे में बताते हैं कि जब मां पार्वती चंडिका का रूप धारण कर दैत्यों का संहार करती हुई उन्मुक्त हो गईं, तो उन्हें शांत करने के लिए भगवन शिव ने उनसे प्रार्थना की. फलस्वरूप माता ने अपनी भूख शांत करने के लिए अपना ही शीश काटकर रक्त की धारा से अपना और अपनी सहचरियों की पिपासा को शांत किया.
राजा को मां ने दिया साक्षात दर्शन
रामगढ़ के इस स्थान के बारे में मान्यता है की इलाके के आदिवासी राजा जब शिकार पर निकलें, तो दामोदर और भैरवी नदी के संगम से निकल कर माता ने साक्षात दर्शन देते हुए कहा था कि वहां मौजूद मंदिर के शिलापट्ट पर उनकी मूर्ति अंकित है, जिसे पूजने से राजा की मनोकामना पूर्ण होगी और ऐसा ही हुआ, उसके बाद से ही यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है और माता के इस मंदिर से कोई निराश नहीं लौटता.
धोनी को लेकर सुर्खियों में आया है यह मंदिर
वहीं तमाड़ इलाके में स्तिथ माता देवड़ी के मंदिर में भी भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में स्थित सोलहभुजी मां दुर्गा की पूजा के लिए पहुंचे. इस मंदिर में भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की विशेष आस्था है. वे अक्सर यहां माता की पूजा के लिए आते हैं. यहां मां की प्राचीन प्रतिमा है. लोक मान्यता के अनुसार कलिंग विजय के दौरान सम्राट अशोक ने भी यहां पूजा की थी.
मंदिरों में सुरक्षा के विशेष प्रबंध
दरअसल नवरात्र के इस पावन मौके पर इन मंदिरों में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. वहीं सीमा पर तनाव और आतंकी हमले के मद्देनजर इन मंदिरों में सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए हैं. खासतौर पर सुबह और शाम की आरती के वक्त स्थानीय लोग भी भीड़ को नियंत्रित करने में सहयोग करते हैं.