श्रीकृष्ण अवतार भगवान विष्णु का पूर्णावतार है. ये रूप जहां धर्म और न्याय का सूचक है वहीं इसमें अपार प्रेम भी है. श्रीकृष्ण अवतार से जुड़ी हर घटना और उनकी हर लीला निराली है. श्रीकृष्ण के मोहक रूप का वर्णक कई धार्मिेक ग्रंथों में किया गया है. सिर पर मुकुट, मुकुट में मोर पंख, पीतांबर, बांसुरी और वैजयंती की माला. ऐसे अद्भूत रूप को जो एकबार देख लेता था, वो उसी का दास बनकर रह जाता था.
ये तो हम सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण को दूध, दही और माखन बहुत प्रिय था लेकिन इसके अलावा भी उन्हें बहुत कुछ पसंद था. श्रीकृष्ण को इन पांच चीजों से विशेष लगाव था. आज जन्माष्टमी के मौके पर जो कोई भी भक्त इन पांच चीजों को भगवान के समक्ष रखकर उनकी सच्चे दिल से प्रार्थना करता है, बाल-गोपाल कन्हैया उसकी इच्छा जरूर पूरी करते हैं.
1. सुसज्जित बांसुरी
श्रीकृष्ण को उनकी बांसुरी अत्यंत प्रिय है. एक छंद में तो राधा ने श्रीकृष्ण की बांसुरी के भाग्य को अपने भाग्य से कहीं श्रेष्ठ बताया है क्योंकि वो उनके अधरों को छूती है. श्रीकृष्ण की बांसुरी की मीठी धुन सुनकर सारी गोपियां, ग्वाल-बाल, गायें, जीव-जंतु, पेड़-लता थम से जाते थे. बांसुरी सरलता और मीठास का प्रतीक है. जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण की मूर्ति सजाते समय बांसुरी रखना न भूलें.
2. मोरपंख
भगवान श्रीकृष्ण अपने मुकुट में मोरपंख धारण करते हैं. मोर पंख सम्मोहन और भव्यता का प्रतीक है. ये दुखों को दूर कर जीवन में खुशहाली का सूचक है. कान्हा के मुकुट की सजावट मोर पंख के बिना अधूरी है.
3. मिश्री की मीठास
कृष्ण को माखन मिश्री बहुत ही प्रिय है. मिश्री मीठास का प्रतीक है. जीवन में मीठास का होना बेहद जरूरी है. श्रीकृष्ण ने सदैव प्रेम करने की सीख दी. प्रेम हर उस चीज से जो हमारे इर्द-गिर्द मौजूद है.
4. वैजयंती की माला
भगवान श्रीकृष्ण अपने गले में सदैव वैजयंती की माला धारण किए रहते हैं. पूजा के समय श्रीकृष्ण को वैजयंती की माला पहनाना न भूलें.
5. पीतांबर और चंदन का तिलक
श्रीकृष्ण सदैव पीतांबर धारण किया करते थे. माथे पर चंदन का तिलक. भगवान की पूजा करने से पहले उन्हें चंदन समर्पित करें.