अश्विन माह (Ashwin month) इस बार 3 सितंबर से 31 अक्टूबर तक होगा. यह अवधि 59 दिनों की होगी. इसमें 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिक मास रहेगा, जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस माह में सूर्य संक्रांति (Surya sankranti) नहीं होती, उसमें अधिक मास जुड़ जाता है. पुरुषोत्तम 32 माह 16 दिन 4 घंटे बीतने के बाद आता है.
क्यों हर तीसरे साल में जुड़ता है अधिक मास?
हिंदू कैलेंडर में हर दो साल बाद यानी तीसरे साल में अतिरिक्त मास यानी अधिक मास जुड़ता है. इसका कारण सूर्य और चंद्रमा की वार्षिक चाल में 11 दिनों का अंतर है. सूर्य और चंद्रमा के वर्षचक्र में 11 दिन का अंतर होता है. इस अंतर को पाटने के लिए हर साल हर तीसरे वर्ष अधिक मास आता है.
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ज्योतिषाचार्य डॉ अरुणेश कुमार शर्मा के मुताबिक, अधिक माह में कुछ विशेष कार्यों पर पूरी तरह पाबंदी लग जाती है. इस माह में प्रथम तीर्थ दर्शन, राज्याभिषेक, गृहप्रवेश, गृहारंभ, शादी-विवाह, जलाशयारामदेव प्रतिष्ठा आदि कार्य वर्जित होते हैं. पुरुषोत्तम मास भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है.
साथ ही अधिक मास के 33 देवताओं की पूजा का भी बड़ा महत्व होता है. इस दौरान विष्णु, जिष्णु, महाविष्णु, हरि, कृष्ण, भधोक्षज, केशव, माधव, राम, अच्युत, पुरुषोत्तम, गोविंद, वामन, श्रीश, श्रीकांत, नारायण, मधुरिपु, अनिरुद्ध, त्रीविक्रम, वासुदेव, यगत्योनि, अनन्त, विश्वाक्षिभूणम्, शेषशायिन, संकर्षण, प्रद्युम्न, दैत्यारि, विश्वतोमुख, जनार्दन, धरावास, दामोदर, मघार्दन एवं श्रीपति जी की पूजा से बड़ा लाभ होता है.