देवउठनी एकादशी का व्रत बहुत ही चमत्कारिक होता है. इस व्रत के शुभ प्रभाव से परिवार में सुख-समृद्धि और वैभव बढ़ने लगता है. तो आइए जानते हैं कि कैसे रखें देवोत्थान एकादशी का व्रत...
- निर्जल या केवल जलीय चीजों पर उपवास रखना चाहिए.
- रोगी, वृद्ध, बच्चे और व्यस्त लोग केवल एक वेला उपवास रखें.
- अगर व्रत संभव न हो तो इस दिन चावल और नमक न खाएं.
- भगवान विष्णु या अपने ईष्ट देव की उपासना करें.
- इस दिन प्याज़, लहसुन, मांस, मदिरा और बासी भोजन से परहेज रखें.
- पूरे दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः " मंत्र का जाप करें.
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान को जगाएं-
उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव। गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥
शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।
इस एकादशी की पूजा एक विशेष विधि से की जाती है. एकादशी पूजा की विधि निम्नलिखित है-
- गन्ने का मंडप बनाकर उसके बीच में चौक बनाया जाता है.
- चौक के बीच में भगवान विष्णु की प्रतिमा रखते हैं.
- चौक के साथ ही भगवान के चरण चिन्ह बनाकर ढक दिया जाता है.
- भगवान को गन्ना, सिंघाड़ा, फल और मिठाई चढ़ाते हैं.
- फिर घी का अखंड दीपक जलाते हैं, जो पूरी रात जलता है.
- भोर में भगवान के चरणों की पूजा की जाती है.
- फिर भगवान के चरणों को स्पर्श करके उन्हें जगाया जाता है.
- शंख, घंटा और कीर्तन की ध्वनि करके व्रत की कथा सुनी जाती है.
- इसके बाद से ही सारे मंगल कार्य शुरू किये जा सकते हैं.
- श्रीहरि के चरण-स्पर्श करके जो भी मांगते हैं वो ज़रूर मिलता है.