धनतेरस के दिन ना केवल अपार धन-संपदा पाई जा सकती है बल्कि आप सेहत और सौभाग्य का वरदान भी पा सकते हैं.
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी पर जब ग्रहों और नक्षत्रों का अद्धुत संयोग बनता है, तब होती है धनतेरस की पूजा. इससे प्रसन्न होते हैं कुबेर और धन-संपत्ति व वैभव का वरदान देते हैं. ये वो पूजा है जिससे देवताओं के वैद्य धनवंतरि आरोग्य का सुख प्रदान करते हैं और अकाल मृत्यु के भय का नाश करते हैं. पुराणों में धनतेरस की पूजा को बेहद कल्याणकारी बताया गया है. इसे धन त्रियोदशी भी कहते हैं.
धन त्रियोदशी इस बार क्यों खास है...
इस बार सैकड़ों साल बाद शुक्रवार के दिन धन त्रियोदशी आयी है. शुक्र अकूत धन दौलत देने वाला ग्रह है. शुक्रवार को लक्ष्मी पूजा का दिन मानते हैं.
इस बार चंद्र का हस्त नक्षत्र है. चंद्र कन्या राशि में है और गुरु के साथ है जिससे इस बार गजकेसरी राजयोग बन रहा है. इस दिन आपकी हर मनोकामना
पूरी होगी. राज योग मिलने की उम्मीद बढ़ेगी. इस बार धन त्रियोदशी पर आपको हज़ार गुना अधिक फल मिलेगा और पूजा से अच्छी सेहत मिलेगी.
कैसे करें पूजन
सबसे पहले तेल लगाकर नहाएं और फिर लाल या गुलाबी कपड़े पहनें. पूजन में सबसे पहले गणेश-लक्ष्मी जी और कुबेर की पूजा करें. गणेश जी सारी बाधाएं
दूर करेंगे, लक्ष्मी जी धन लाभ देंगी और कुबेर पैसे की बचत कराएंगे. इस तरह घर में बरकत आएगी.
कुबेर को कमल का फूल, गुलाब की माला नारियल, बर्फी, केले और मखाने का भोग लगाएं. गुग्गल की धूप जलाएं और घी का दीपक जलाएं.
फिर इस मंत्र का जाप करें :
ॐ गणपति देवाय नमः, ॐ श्रिये नमः, ॐ कुबेराय नमः
धनतेरस पर बच्चों के लिए क्या खरीदें...
धनतेरस को धनवंतरि जयंती होती है...
मान्यता है कि धनवंतरि देव समुद्र मंथन से निकले थे. वह आरोग्य, आयु, धन और सुख देते हैं. धनवंतरि देव विघ्न विनाशक भी हैं.
इन्हें गेंदे के फूल की माला चढ़ाएं, चंदन लगाएं. दूध, दही, शक्कर, शहद और घी मिलाकर पंचामृत बनाएं. पंचामृत को धनवंतरि देव को चढ़ाएं. सेब और
बर्फी, पैसे चढ़ाएं और घी के दीपक से आरती करें.
इसके बाद ॐ धन्वन्तरये नमः मंत्र का जाप करें.
धनवंतरि पूजा का मुहूर्त सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक है.
धनतेरस पर खरीददारी कब करें -
इस दिन दोपहर 12 बजे से 1:30 तक पूजन करें. शाम के समय 4:00 बजे से 5:30 तक खरीदारी करें.
कैसे करें दीपदान
धनतेरस पर दीपदान का भी विशेष महत्व होता है. शाम को दीपदान जरूर करें. घर के मुख्य द्वार पर तिल के तेल का चारमुखी दीपक जलाएं. थाली में
यमराज के लिए सफ़ेद बर्फी, तिल की रेवड़ी या तिल मुरमुरे के लडडू, एक केला और एक गिलास पानी रखें.
दीप जलाने का शुभ मुहूर्त
यह शाम 5:30 से शाम 6:30 तक रहेगा.