भाई दूज का त्योहार भाई और बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की खुशी और लंबी आयु के लिए मुत्यु के देवता यमराज की पूजा करती हैं.
क्या है मान्यता?
मान्यता है कि इस दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना को दर्शन दिए थे. यमुना के स्वागत से खुश होकर यमराज ने वरदान दिया था कि इस दिन जो बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु की कामना करके उनके लिए व्रत रखेंगी, टीका करेंगी, तो उनके भाइयों की रक्षा स्वंय यमराज करेंगे. ऐसा भी कहा जाता है कि जो भाई इस दिन अपनी बहनों से तिलक करवा कर उनके हाथ का बना हुआ खाना खाते हैं, उनकी रक्षा खुद यम देवता करते हैं.
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ऐसे करें यम देवता की उपासना
- शाम को घर के बाहर बाईं ओर मिट्टी के कलश में जल भरकर रखें.
- इसके ऊपर सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाएं.
- फिर प्रार्थना करें कि घर में रहने वाले सभी लोग दीर्घायु और स्वस्थ हों.
- फिर सुबह कलश का जल घर के कोने-कोने में छिड़क दें.
भाई दूज का महत्व:
- दिवाली के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है.- भाई दूज के दिन ही यमराज के सचिव चित्रगुप्त जी की भी पूजा होती है.
- इस तिथि से यमराज और द्वितीया तिथि का संबंध होने के कारण इसको यमद्वितिया भी कहा जाता है.
- इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक और स्वागत सत्कार करती हैं.
- साथ ही अपने भाई की लंबी आयु की कामना भी करती हैं.
इसलिए मनाया जाता है भाई दूज, ये है पौराणिक कहानी
क्या करें
- भाई दूज के दिन भाइयों को सुबह चांद का दर्शन करना चाहिए.
- इसके बाद यमुना के जल से स्नान करें या ताजे जल से स्नान करें.
- फिर भाई अपनी बहन के घर जाएं और वहां बहन के हाथों से बना हुआ भोजन ग्रहण करें.
- बहनें भाई को भोजन कराएं और उनका तिलक करके आरती करें.
- भाई यथाशक्ति अपनी बहन को उपहार दें.