दिवाली के मौके पर व्यापारी बही-खातों, तराजू और नाप-माप के औजारों से ही दिवाली पूजन करते हैं. इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी पूजन, दीपदान, श्री महालक्ष्मी पूजन व गणेश, कुबेर, बहीखाता, धर्म व गृह-स्थलों पर दीप प्रज्वलित करना शुभ होता है. दिवाली पर बही-खाता पूजन का बड़ा महत्व होता है. इस दिन दिवाली से व्यापारियों का नया साल शुरू होता है.
जानें कैसे करें बही-खाता पूजन की तैयारी और कब है शुभ मुहूर्त...
- बही खातों का पूजन करने के लिए पूजा मुहूर्त समय अवधि में नवीन खाता पुस्तकों पर केसर युक्त चंदन से या फिर लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए. इसके बाद इनके ऊपर 'श्री गणेशाय नम:' लिखना चाहिए. इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठे, कमलगट्ठा, अक्षत, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए.
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- मां सरस्वती का ध्यान करें. ध्यान करें कि जो मां अपने कर कमलों में घटा, शूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण धारण करती हैं, चन्द्र के समान जिनकी मनोहर कांति है. जो शुंभ आदि दैत्यों का नाश करने वाली है. ‘वाणी’ जिनका स्वरूप है, जो सच्चिदानन्दमय से संपन्न हैं, उन भगवती महासरस्वती का मैं ध्यान करता हूं. ध्यान करने के बाद बही खातों का गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करना चाहिए.
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- जहां पर नवग्रह यंत्र बनाया गया है, वहां पर रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, लक्ष्मी जी की मूर्ति या मिट्टी के बने हुए लक्ष्मी-गणेश-सरस्वती जी की मूर्तियां सजायें. कोई धातु की मूर्ति हो तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध, दही ओर गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत, चंदन का श्रृंगार करके फूल आदि से सजाएं. इसके ही दाहिने और एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलायें, जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाता है.
जानें दिवाली (19 अक्टूबर) पर बही-खाता पूजन का शुभ मुहूर्त
सुबह 6.41 से 8.01 बजे तक
सुबह 10.36 से 11. 51 बजे तक
दोपहर 12.41 से 3.11 बजे तक
शाम 4.41 से 5.51 बजे तक
शाम 6.21 से 9.15 बजे तक