आज नवरात्रि का आठवां दिन है जिसे महाअष्टमी (Maha Ashtami 2021) या दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami 2021) भी कहा जाता है. इस दिन माता रानी के आठवें स्वरुप मां महागौरी की पूजा का विधान है. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने इनको दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गौर हो गया और मां के इस रूप का नाम गौरी पड़ गया. ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने भगवान राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी.
दुर्गा महाअष्टमी शुभ पूजा मुहूर्त (Durga Ashtami Shubh Puja Muhurt)
अष्टमी आरम्भ : 12 अक्टूबर रात 9 बजकर 49 मिनट से
अष्टमी समाप्त: 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 9 मिनट पर
मां महागौरी की पूजा विधि
इस दिन स्नान आदि करने के बाद मां दुर्गा की षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है. मां गौरी की पूजा पीले या सफेद वस्त्र धारण करके करनी चाहिए. मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें. पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल और मिठाई अर्पित करें. उसके बाद इनके मंत्रों का जाप करें. अगर पूजा मध्य रात्रि मैं की जाए तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होंगे. अष्टमी तिथि के दिन मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए. इससे मा शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं.
मां महागौरी की पूजा से मिलते हैं ये लाभ
मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है. मां के इस स्वरूप की पूजा करने से विवाह से संबंधित बाधाएं दूर होती हैं और मनचाहा विवाह हो जाता है. साथ ही शुक्र से सम्बंधित समस्याएं भी हल होती हैं. व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. मां की कृपा से जीवन के कष्ट, दुख, और परेशानियां दूर होते हैं और शत्रु पर विजय प्राप्त होती है.