देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना सबसे पहले करते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि देवगणों ने स्वयं उनकी अग्रपूजा का विधान बनाया है.
पंडित विनोद मिश्र के अनुसार शास्त्रों में एक बार जिक्र आता है कि भगवान
शंकर त्रिपुरासुर का वध करने में जब असफल हुए, तब
उन्होंने गंभीरतापूर्वक विचार किया कि आखिर उनके
कार्य में विघ्न क्यों पड़ा? तब महादेव को ज्ञात हुआ कि
वे गणेशजी की अर्चना किए बगैर त्रिपुरासुर से युद्ध करने
चले गए थे. इसके बाद शिवजी ने गणेशजी का पूजन
करके उन्हें लड्डुओं का भोग लगाया और दोबारा
त्रिपुरासुर पर प्रहार किया, तब उनका मनोरथ पूर्ण हुआ.
घर में खुशहाली के लिए ऐसे करें भगवान गणेश की स्थापना
सनातन एवं हिन्दू शास्त्रों में भगवान गणेश जी को, विघ्नहर्ता अर्थात सभी तरह की परेशानियों को खत्म करने वाला बताया गया है. पुराणों में गणेशजी की भक्ति शनि सहित सारे ग्रहदोष दूर करने वाली भी बताई गई हैं.
हर बुधवार के शुभ दिन गणेशजी की उपासना से
व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और सभी तरह की
रुकावटे दूर होती हैं.
गणेश भगवान की पूजा विधि
- सुबह स्नान ध्यान आदि से सुद्ध होकर सर्व प्रथम ताम्र पत्र के श्री गणेश यन्त्र को साफ मिट्टी, नमक, निम्बू से अच्छे से साफ कर लें.
- पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख कर के आसान पर विराजमान हो कर सामने श्री गणेश यन्त्र की स्थापना करें.
- शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को
एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल,
चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर,
इनकी आरती की जाती है.
इस मंत्र का करें जाप, गणपति देंगे वैभव का वरदान
- अंत में भगवान गणेश जी का स्मरण कर 'ॐ गं गणपतये नमः' का 108 नाम मंत्र का जाप करना चाहिए.
- बुधवार को यहां बताए जा रहे ये छोटे-छोटे उपाय करने से व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है:
- बिगड़े काम बनाने के लिए बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय
नमोस्तु नित्यम्।
अर्थात भगवान गणेश आप सभी बुद्धियों को देने वाले, बुद्धि को जगाने वाले और देवताओं के भी ईश्वर हैं. आप ही सत्य और नित्य बोधस्वरूप हैं. आपको मैं सदा नमन करता हूं.
कम से कम 21 बार इस मंत्र का जप जरूर होना
चाहिए.
घर में खुशहाली के लिए ऐसे करें भगवान गणेश की स्थापना
ग्रह दोष और शत्रुओं से बचाव के लिए:
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।
इसमें भगवान गणेश जी के बारह नामों का स्मरण किया गया है. इन नामों का जप अगर मंदिर में बैठकर किया जाए तो यह उत्तम बताया जाता है. जब पूरी पूजा विधि हो जाए तो कम से कम 11 बार इन नामों का जप करना शुभ होता है.