scorecardresearch
 

गुप्त नवरात्रि: दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें पूजन विधि और कथा

कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण भी इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है. विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है.

Advertisement
X
मां ब्रह्मचारिणी इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है.

Advertisement

22 जून से गुप्त नवरात्रि शुरू हो चुके हैं. चैत्र या वासंतिक नवरात्र और अश्विन या शारदीय नवरात्रों के अतिरिक्त दो और भी नवरात्र हैं जिनमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है. गुप्त नवरात्रि में दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण भी इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है. विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है. जिनका स्वाधिष्ठान चक्र कमजोर हो उनके लिए भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत अनुकूल होती है.

क्या है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि?

- मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले अथवा सफेद वस्त्र धारण करें.

- मां को सफेद वस्तुएं अर्पित करें, जैसे- मिसरी, शक्कर या पंचामृत.

Advertisement

- ज्ञान और वैराग्य का कोई भी मंत्र जपा जा सकता है.

- वैसे मां ब्रह्मचारिणी के लिए "ॐ ऐं नमः" का जाप करें.

- जलीय आहार और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

ब्रह्मचारिणी की कथा

पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया. एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया.

कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे. तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं. इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए. कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं. पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया.

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया. देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की. यह आप से ही संभव थी. आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे. अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ. जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं. मां की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए. मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है.

Advertisement
Advertisement