12 मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है और 13 मार्च को रंगवाली होली. ज्योतिषाचार्य बिनोद मिश्र के अनुसार शाम 6 बजकर 23 मिनट से रात 8 बजकर 35 मिनट तक का समय मंगलसूचक है. प्रदोष काल में ही होलिका दहन उत्तम माना जाता है.
भद्रा काल में न करें होलिका दहन
भद्रा काल में होलिका दहन ना करें. भद्रा काल 12 मार्च को सुबह 8 बजकर 23 मिनट पर शुरू होकर शाम 4 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. भद्रा में अनेक काम और अनेक पर्व मनाना वर्जित कहे गए हैं.
होलिका दहन की भस्म अशुभ प्रभाव से घर को बचाती है
भद्रा काल का वास
भद्रा काल तीन जगह वास करता है. आकाश, पाताल और मृत्यु लोक. अगर भद्रा आकाश और पाताल में वास कर रहा है, फिर तो इसका ज्यादा खतरा नहीं होता. पर अगर यह मृत्यु लोक में वास कर रहा है तो गलती से भी इसमें मंगल कार्य न करें.
होलिका दहन की विधि
होलिका दहन जिस स्थान पर करना है, उसे अच्छे से साफ करें. फिर वहां गंगा जल झिड़क कर उसे शुद्ध करें. सूखी लकड़ियों का ढेर बनाएं. अग्नि समर्पित करने से पूर्व होलिका का विधिवत पूजन करें. ज्योतिषाचार्य बिनोद मिश्र के अनुसार पूजन करते वक्त पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए. ये पूजन किसी पण्डित से करवाना श्रेयस्कर रहता है.
पूजन सामग्री
होलिका पूजन सामग्री में गोबर से निर्मित होलिका और प्रहलाद के लक्षण की तरह प्रयोग में आने वाला स्वरूप, फूलों की माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच या सात प्रकार के अनाज, नई गेहूं और अन्य फसलों की बालियां और साथ में एक लोटा जल रखना चाहिए. इसके अतिरिक्त बड़ी-फूलौरी, मीठे पकवान, मिठाईयां, फल आदि भी अर्पित किए जा सकते हैं. होलिका के चारों ओर सात परिक्रमा करें.