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होलिका दहन की भस्म के होते हैं ये शुभ प्रभाव!

हिन्दू धर्मानुसार, होली के दिन से ही वसंत ऋतु का आगमन होता है और इस दिन पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. होली का त्योहार जितना महत्वपूर्ण होता है, उतना जरूरी है इसके दहन का शुभ मुहूर्त पता होना. संपूर्ण भारतवर्ष में यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन ब्रज और मथुरा जैसे क्षेत्रों में इसका रंग ही अलग होता है.

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होलिका दहन की भस्म का महत्व
होलिका दहन की भस्म का महत्व

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हिन्दू धर्मानुसार, होली के दिन से ही वसंत ऋतु का आगमन होता है और इस दिन पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. होली का रंगो का त्योहार जितना महत्वपूर्ण होता है, उतना ही जरूरी है होलिका दहन. संपूर्ण भारतवर्ष में यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन ब्रज और मथुरा जैसे क्षेत्रों में इसका रंग ही अलग होता है.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

साल 2018 में होलिका दहन 1 मार्च को है. इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 26 मिनट से लेकर 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.

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पूजा विधि

नारद पुराण के अनुसार होलिका दहन के अगले दिन (रंग वाली होली के दिन) सुबह उठकर आवश्यक नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पितरों और देवताओं के लिए तर्पण-पूजन करना चाहिए. साथ ही सभी दोषों की शांति के लिए होलिका की विभूति की वंदना कर उसे अपने शरीर पर लगाना चाहिए.

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घर के आंगन को साफ करके उसमें एक रंगोली बनानी चाहिए और उसकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए. ऐसा करने से आयु की वृ्द्धि, आरोग्य की प्राप्ति और समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है.

होलिका दहन की भस्म का महत्व

ऐसा माना जाता है कि होली की बची हुई अग्नि और भस्म को अगले दिन सुबह घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है और इस भस्म का शरीर पर लेपन भी किया जाता है. भस्म का लेपन करते समय निम्न मंत्र का जाप करना कल्याणकारी रहता है: वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च। अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।।

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