दिवाली का त्योहार धनतेरस के पूजन से शुरू हो जाता है और इसी के साथ पांच दिन तक चलने वाले इस पर्व को लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं. धनतेरस के दूसरे दिन और दीपावली के एक दिन पहले छोटी दीवाली यानी कि नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है.
नरक चतुर्दशी पूजन
नरक चतुर्दशी पर सुबह तेल लगाकर चिचड़ी की पत्तियां(चिचड़ी- चमत्कारी पौधा) पानी में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. इस मौके पर 'दरिद्रता जा लक्ष्मी आ' कह घर की महिलाएं घर से गंदगी को घर से बाहर निकालती हैं.
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स्नान और दीपदान का मुहूर्त
अभ्यंग स्नान का मुहूर्त सुबह 04:47 से 06:27 तक रहेगा. इसकी अवधि 1 घंटे 40 मिनट रहेगी. दीपदान का मुहूर्त शाम 6 से 7 बजे तक रहेगा. यम दीपदान के लिए चार बत्ती वाला मिट्टी का दीपक घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए.
नरक चतुर्दशी पूजन-विधि
- इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले नहा धोकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और संभव हो तो तिल का तेल लगाने के बाद नहाएं.
- इस दिन शरीर पर चंदन का लेप लगाकर नहाने और भगवान कृष्ण की उपासना करने का भी विधान है.
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- शाम के समय घर की दहलीज पर दीप जलाएं और यम देव की पूजा करें.
- नरक चौदस के दिन भगवान हनुमान की पूजा भी की जाती है.
नरक चौदस को क्यों कहा जाता है छोटी दीवाली...
दिवाली के एक दिन पहले आने वाले इस त्योहार के दिन दीप दान किए जाते हैं. इस दिन घर के द्वार पर दीपक जलाए जाते हैं. इसलिए इसे छोटी दिवाली कहा जाता है.