Narsimha Ji ki Aarti: भगवान नृसिंह या नरसिम्हा, श्रीहरि विष्णु के पांचवे अवतार हैं. अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था. इनका प्राकट्य खंबे से गोधूली वेला के समय हुआ था. भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं. इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है. साथ ही हर प्रकार के मुकदमे, शत्रु और विरोधी शांत होते हैं. इसके अलावा, भगवान नृसिंह जी की आरती करना भी फलदायी माना जाता है.
श्री नृसिंह भगवान की आरती ॥
ऊं जय नरसिंह हरे,प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
जन का ताप हरे॥
ऊं जय नरसिंह हरे॥
तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी,प्रभु भक्तन हितकारी।
अद्भुत रूप बनाकर,अद्भुत रूप बनाकर,
प्रकटे भय हारी॥
ऊं जय नरसिंह हरे॥
सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी,प्रभु दुस्यु जियो मारी।
दास जान अपनायो,दास जान अपनायो,
जन पर कृपा करी॥
ऊं जय नरसिंह हरे॥
ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे,प्रभु माला पहिनावे।
शिवजी जय जय कहकर,पुष्पन बरसावे॥
ऊं जय नरसिंह हरे॥