आज नवरात्रि का सातवां दिन (Maha Saptami 2021) है और इस दिन दुर्गा माता के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां के इस रूप को बहुत भयंकर माना जाता है. इनका रंग काला है और ये तीन नेत्रधारी हैं. मां कालरात्रि के गले में विद्युत् की अद्भुत माला है. इनके हाथों में खड्ग और कांटा है और इनका वाहन गधा है. ये भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं.
मां कालरात्रि की उपासना से मिलते हैं ये लाभ- शत्रु और विरोधियों को नियंत्रित करने के लिए मां कालरात्रि की उपासना अत्यंत शुभ होती है. इनकी उपासना से भय, दुर्घटना तथा रोगों का नाश होता है. इनकी उपासना से नकारात्मक ऊर्जा का असर नहीं होता है. ज्योतिष में शनि नामक ग्रह को नियंत्रित करने के लिए इनकी पूजा करना अदभुत परिणाम देता है. मां कालरात्रि व्यक्ति के सर्वोच्च चक्र, सहस्त्रार को नियंत्रित करती हैं. यह चक्र व्यक्ति को अत्यंत सात्विक बनाता है और देवत्व तक ले जाता है. इस चक्र का कोई मंत्र नहीं होता है. सप्तमी के दिन इस चक्र पर अपने गुरु का ध्यान अवश्य करें.
कालरात्रि की पूजा विधि- मां के समक्ष घी का दीपक जलाकर लाल फूल अर्पित करें, साथ ही गुड़ का भोग लगाएं. मां के मन्त्रों का जाप करें, या सप्तशती का पाठ करें. लगाए गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बाटें और बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर दें. श्वेत या लाल वस्त्र धारण करके रात्रि में माँ कालरात्रि की पूजा करें. 108 बार नवार्ण मंत्र पढ़ते जाएं और एक-एक लौंग चढाते जाएं. नवार्ण मंत्र है- " ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ". उन 108 लौंग को इकठ्ठा करके अग्नि में डाल दें. आपके विरोधी और शत्रु शांत होंगे.
मां के कालरात्रि स्वरूप का रहस्य- सप्तमी का दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है. ये मां दुर्गा का रौद्र रूप माना जाता है. मां कालरात्रि के नाम का अर्थ है 'काल' अर्थात समय, और 'रात्रि' का मतलब होता है रात. पुराणों के अनुसार मां पार्वती ने शुंभ और निशुंभ असुरों को मारने के लिए माता को स्वर्ण अवतार दिया था. उसी दिन से मां के इस स्वरूप को कालरात्रि के नाम से जाना जाने लगा. इन्हें शक्ति के एक और रूप देवी काली के नाम से भी जाना जाता है.