Navratri Ashtami 2021 kab hai: नवरात्रि की अष्टमी तिथि का खास महत्व है. इस बार नवरात्रि आठ दिन के ही हैं इसलिए कल यानी 13 अक्टूबर को ही अष्टमी मनाई जाएगी. जो लोग नवरात्रि के प्रारंभ वाले दिन व्रत रखते हैं, वे दुर्गा अष्टमी का भी व्रत रखते हैं. दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना की जाती है. इस दिन कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है. ऐसी मान्यता है कि अगर नवरात्रि की अष्टमी के पूजा-पाठ में थोड़ी सी भी चूक हुई तो बाकी दिनों की आराधना व्यर्थ चली जाती है इसलिए इस दिन कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. नियम जानने से पहले जान लेते हैं अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त-
अष्टमी के दिन हवन का शुभ मुहूर्त (Navratri Ashtami 2021 Shubh Muhurt)- अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा और आराधना की जाती है. इस दिन शुभ मुहूर्त में माता की पूजा और हवन होता है. महाअष्टमी पर संधि पूजा होती है. ये पूजा अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट पर होती है. संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन के लिए सबसे शुभ माना जाता है. हवन करने का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 42 मिनट से रात 8 बजकर 7 मिनट तक है.
दिन का चौघड़िया
लाभ – 06:26 AM से 07:53 PM तक
अमृत – 07:53 AM से 09:20 PM तक
शुभ – 10:46 AM से 12:13 PM तक
लाभ – 16:32 AM से 17:59 PM तक
रात का चौघड़िया
शुभ – 19:32 PM से 21:06 PM तक
अमृत – 21:06 PM से 22:39 PM तक
लाभ – 03:20 PM से 04:53 PM तक
नवरात्रि की अष्टमी की पूजा और व्रत के दौरान आप इन बातों का जरूर ध्यान रखें ताकि आप पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहे.
1.वैसे तो नवरात्रि के दौरान ही सुबह स्नान के बाद माता रानी का पाठ किया जाता है लेकिन अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठना शुभ माना जाता है. इस दिन गलती से भी देर तक ना सोते रहें. अगर आप व्रत नहीं भी है तो भी उठकर स्नान करें और पूजा जरूर करें. पूजा के लिए साफ कपड़े पहनें. इस दिन शुभ मुहूर्त में ही पूजा करने का प्रयास करें. मुहूर्त बीतने के बाद पूजा का महत्व नहीं रह जाता है.
2. संधि काल का समय दुर्गा पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है. संधि काल के समय 108 दीपक जलाए जाते हैं. अष्टमी के दिन संधि काल में ही दीपक जलाना शुभ माना जाता है. संधि काल का ध्यान रखें.
3. विष्णु पुराण के अनुसार, अष्टमी पर पूजा के बाद दिन में सोना नहीं चाहिए. ऐसा करने से पूजा का फल नहीं मिलेगा.
4. अष्टमी के दिन हवन बिना पूजा करने की गलती ना करें. हवन किए बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. ध्यान रखें कि हवन करते वक्त आहुति की सामग्री कुंड से बाहर ना जाए.
नवरात्रि की अष्टमी कल, यहां देखें पूजा-हवन का शुभ मुहूर्त
5. नवरात्रि की अष्टमी पर पूरे मन से मां दुर्गा की आराधना करें. चालीसा, मंत्र या सप्तशती पढ़ते हुए बीच में किसी दूसरे से बात ना करें. ऐसा करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता है. इसके अलावा माता की चौकी का समापन भी पूरे विधि विधान से करना चाहिए.
6.अगर आपने अष्टमी का व्रत रखा है तो नवमी के दिन कन्या पूजन से पहले कुछ भी ना खाएं. कन्या पूजने और उन्हें विदा करने के बाद ही पूरे विधि से व्रत का पारण करना चाहिए. इससे माता रानी की कृपा बनी रहती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
7.अगर आपने नवरात्रि के पूरे व्रत रखे हैं तो आखिरी दिन किसी भी तरह की हड़बड़ी ना दिखाएं. कई लोग अष्टमी पर रात 12 बजते ही व्रत पारण कर लेते हैं जोकि गलत है. नवमी के दिन सुबह पूरे विधि-विधान के साथ ही व्रत खत्म करें. इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के बाद पूरे विधि से हवन करें और कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही इसका समापन करें. नवमी के दिन लौकी खाने की मनाही होती है. अगर नवमी गुरुवार को हो तो इस दिन केले और दूध का सेवन भी नहीं करना चाहिए.
8. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में तुलसी के पास अंधेरा नहीं रखना चाहिए. अष्टमी के दिन भी तुलसी जी के पास नौ दिये जलाकर और उनकी परिक्रमा करनी चाहिए. इससे घर-परिवार में सुख समृद्धि आती है.
9. अष्टमी पर नीले या काले रंग के वस्त्र पहनने से बचें. इस दिन पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है.