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आज चैत्र नवरात्रि की महाष्टमी है, एक ही दिन है सप्तमी और अष्टमी

महाष्टमी को माता महागौरी की पूजा होती है इससे सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलेगी. माता शनि के कष्टों से मुक्ति दिलाएंगी. जिस काम में हाथ डालोगे या नई शुरुआत करोगे मां के आशिर्वाद से वह काम अवश्य पूरा होगा. बहुत अच्छा मुहूर्त है आइए जानते हैं इसका आप कैसे लाभ उठा सकते हैं. 

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कन्या पूजन
कन्या पूजन

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आज शनिवार को चैत्र नवरात्रि की महाष्टमी है. सप्तमी और अष्टमी आज एक ही दिन है साथ ही द्विपुष्कर योग भी है. सैकड़ों साल बाद ग्रह -नक्षत्रों का अद्भुत संयोग बन गया है. शनिवार और बुध का सुबह मृगशिरा नक्षत्र है. राजा रामचन्द्र जी ने लंका चढ़ाई से पहले इसी दिन माता की पूजा की थी. मां दुर्गा ने उन्हें विजयी होने वरदान दिया था.

महाष्टमी को माता महागौरी की पूजा होती है इससे सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलेगी. माता शनि के कष्टों से मुक्ति दिलाएंगी. जिस काम में हाथ डालोगे या नई शुरुआत करोगे मां के आशिर्वाद से वह काम अवश्य पूरा होगा. बहुत अच्छा मुहूर्त है आइए जानते हैं इसका आप कैसे लाभ उठा सकते हैं.  

महाष्टमी में कन्या पूजन का महत्व बढ़ जाता है. लक्ष्मी समान कन्याएं बुद्धि ,धन और शनि के कष्टों से मुक्ति का वरदान देंगी. हर लड़ाई में विजयी होने का वरदान महाष्टमी के व्रत की समाप्ति के साथ घर या बाहर की 3 या 5 या 8 कन्याओं का पूजन आवश्यक होगा. नवरात्र की महाष्टमी में  कन्याएं मां दुर्गा के रूप में बुद्धि, धन विजयी होने का वरदान देतीं हैं. इसलिए नवरात्र में कन्याओं का सम्मान किए बगैर माता वरदान नहीं देती हैं.

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ऐसे करें कन्याओं का सम्मान

- अपने घर या बाहरी 3 से 9 साल की कन्याओं के चरण धोएं.

- कन्याओं को चने की सब्जी और पूड़ी खिलाना है.

-घी से आटे का चार मुखी दीपक लें.

-लाल कलावे की बत्ती बनाएं और दीपक जलाएं.

-गूगल की धूप जला लें.

-थाली में लाल सिंदूर, दही, दूर्वा, घास, चावल, रोली मौली लें.

-सूजी का हलवा पांच मेवा, घी गुड डालकर बनाएं.

-काले चने भिगोकर उबालकर तेल से भूनकर रखें.

-आटे की पूड़ियां लें.

-कन्या को देने हेतु नया नीला वस्त्र या नीला रूमाल लें.

-17 रूपये की दक्षिणा लें.

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शनि को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन विधि

-कन्यायों के पैर धोकर आसान पर बिठाएं.

-दीपक-ज्योति और धूप जलाएं और कन्या पूजन शुरू करें.

- जल छिड़ककर पवित्र करें, सबसे पहले दही.

-सिंदूर और दूर्वा का तिलक लगाएं.

-बाईं कलाई में कलावा बांधे, लाल माला पहनाएं.

-शुद्धिकरण के लिए जल छिड़कें और जोर से बोलें दुर्गा माता की जय हो.

-नारियल फोड़कर छोटे-छोटे टुकड़े करें.

-कन्याओं को हलवा, पूड़ी, चने, फल, नारियल का भोग लगाएं.

-पानी पिलाएं और पान, वस्त्र दक्षिणा दें.

-इस बार शनिवार की अष्टमी है.

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-सभी कन्याओं को काजल और नीला हेयर बैंड जरूर दें.

-कन्याओं को माता के रूप में  प्रणाम करें.

-कन्यायों  से अपनी पीठ पर थप्पी लेकर आशिर्वाद लें.

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