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Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचिनी एकादशी पर जरूर करें ये उपाय, श्रीहरि होंगे प्रसन्न

Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचिनी एकादशी का मतलब होता है पाप का नाश करने वाली एकादशी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाने की मान्यता है. कहा जाता है कि इस एकादशी के दिन किसी से बुरा या झूठ भूल से भी नहीं बोलना चाहिए, ऐसा करने से हमें हमारी पूजा-व्रत का फल नहीं मिलता है.

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पापमोचिनी एकादशी 2025
पापमोचिनी एकादशी 2025

Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी यानी पापों का नाश करने वाली एकादशी प्रत्येक वर्ष में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाने वाली एकादशी है. अन्य सभी एकादशी तिथियों की तरह ही यह एकादशी तिथि भी बेहद ही अहम, महत्वपूर्ण और लाभदायक होती है. इस साल पापमोचनी एकादशी 25 मार्च यानी कल मनाई जाएगी. इस दिन कुछ खास उपाय करना बहुत ही शुभ माना जाता है. 

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पापमोचिनी एकादशी के उपाय

- आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

एकादशी के दिन शाम के समय भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं। साथ ही, भगवान को बेसन के लड्डू तुलसी डालकर भोग लगाएं और भोग लगाने के कुछ देर बाद उन लड्डूओं को प्रसाद के रूप बांटे. ऐसा करने से आपको कभी भी आर्थिक तंगी से नहीं गुजरना पड़ेगा और न ही धन को लेकर कोई समस्या आएगी.

पैसों से जुड़ी समस्याओं के लिए

पापमोचनी एकादशी के दिन एक गोमती चक्र लेकर उसे घर के आसपास किसी खाली जगह पर एक गड्ढे में खोदकर डाल दें. इस दौरान भगवान विष्णु का मान जपते रहें और प्रार्थना करें की आपका फंसा पैसा जल्द ही आ जाए. 

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए

वैवाहिक जीवन को सुखद बनाना चाहते हैं और रिश्ते में बेहतर तालमेल स्थापित करना चाहते हैं तो एकादशी के दिन एक लोटे में जल डालकर, उसमें थोड़ी-सी पिसी हुई हल्दी मिलाएं और उसमें एक सिक्का डाल कर अपने ऊपर से सात बार वारकर बहते पानी में बहा दें. 

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नकारात्मक विचारों को दूर करने के लिए

यदि आप नकारात्मक विचारों को दूर करना चाहते हैं और सकारात्मक विचारों से घिरा रहना चाहते हैं तो पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान नारायण को केसर मिले दूध का भोग लगाएं और शाम के समय मंदिर में घी का दीपक जलाकर श्री विष्णु की आरती करें. 

पापमोचनी एकादशी पूजा विधि (Papmochani Ekadashi Puja Vidhi)

एकादशी के दिन सुबह में ही स्नान करें और उसके बाद व्रत का संकल्प करें. उसके बाद भगवान विष्णु की षोडशोपचार विधि से पूजा करें. पूजन के दौरान भगवान को धूप, दीप, चंदन और फल इत्यादि चीजें अर्पित करें और आरती से पूजा समाप्त करें. इस दिन किसी भिक्षुक, या किसी जरूरतमंद इंसान या ब्राह्मणों को दान और भोजन अवश्य कराना चाहिए. इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी. अगले दिन द्वादशी पर पारण के बाद व्रत खोलना चाहिए.

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