हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान करने का बहुत महत्व माना गया है. कहा जाता है कि पितृपक्ष में हमारे पितर धरती पर आते हैं और पिंडदान, तर्पण से प्रसन्न होकर अपने पुत्र-पौत्रों को आशीर्वाद देते हैं. श्राद्ध में पिंडदान, तर्पण के अलावा ब्राम्हणों, जीवों और पशु-पक्षियों को भी भोजन कराने का बहुत महत्व है. कहा जाता है कि हमारे पूर्वज पशु-पक्षियों के माध्यम से अपना आहार ग्रहण करते हैं.
पितरों से पशु पक्षियों का क्या सम्बन्ध है ?
ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में हमारे पितृ धरती पर आकर हमें आशीर्वाद देतेहैं. ये पितृ पशु पक्षियों के माध्यम से हमारे निकट आते हैं. जिन जीवों तथा पशु पक्षियों के माध्यम से पितृ आहार ग्रहण करते हैं वे हैं - गाय,कुत्ता,कौवा और चींटी. श्राद्ध के समय इनके लिए भी आहार का एक अंश निकाला जाता है, तभी श्राद्ध कर्म पूर्ण होता है. श्राद्ध करते समय पितरों को अर्पित करने वाले भोजन के पांच अंश निकाले जाते हैं - गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के लिए. इन पांच अंशों का अर्पण करने को पञ्च बलि कहा जाता है.
किस प्रकार पञ्च बलि दी जाती है ?
सबसे पहले भोजन की तीन आहुति कंडा जलाकर दी जाती है. श्राद्ध कर्म में भोजन के पूर्व पांच जगह पर अलग अलग भोजन का थोड़ा- थोड़ा अंश निकाला जाता है. गाय,कुत्ता,चींटी और देवताओं के लिए पत्ते पर तथा कौवे के लिए भूमि पर अंश रखा जाता है फिर प्रार्थना की जाती है कि इनके माध्यम से हमारे पितर प्रसन्न हों.
इन पांच जीवों का ही चुनाव क्यूँ किया गया है ?
कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है ,चींटी अग्नि तत्व का ,कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्त्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं. इस प्रकार इन पाँचों को आहार देकर हम पञ्च तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं. इसलिए पितृपक्ष में गाय की सेवा विशेष फलदायी होती है. मात्र गाय को चारा खिलने और सेवा करने से पितरों को तृप्ति मिलती है साथ ही श्राद्ध कर्म सम्पूर्ण होता है.
किस प्रकार केवल गाय की सेवा करके हमें पितरों का आशीर्वाद मिल सकता है ?
पितृपक्ष में गाय की सेवा से पितरों को मुक्ति मोक्ष मिलता है. साथ ही अगर गाय को चारा खिलाया जाय तो वह ब्राह्मण भोज के बराबर होता है. पितृपक्ष में अगर पञ्च गव्य का प्रयोग किया जाय तो पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है. साथ ही गौदान करने से हर तरह के ऋण और कर्म से मुक्ति मिल सकती है.