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Pitru Paksha 2020: श्राद्ध में ये 10 महादान करने से होगा लाभ, पितरों की रहेगी कृपा

पितृपक्ष में गीता का पाठ करना और दान करना विशेष लाभकारी होता है. इससे पितरों की आत्मा को निश्चित शान्ति मिलती है और आपके जीवन के समस्त कष्टों का निवारण होता है.

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श्राद्ध में ये 10 महादान करने से होगा लाभ
श्राद्ध में ये 10 महादान करने से होगा लाभ
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पितृपक्ष में दान का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है
  • पितृपक्ष इस बार 2 सितंबर से 17 सितंबर तक रहेंगे

हिंदू धर्म में दान-पुण्य का बड़ा महत्व बताया गया है. कहते हैं दान करने वाले को ईश्वर उसका कई गुणा ज्यादा फल देते हैं. पितृपक्ष में तो दान का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है. पितृपक्ष में गीता का पाठ करना और दान करना विशेष लाभकारी होता है. इससे पितरों की आत्मा को निश्चित शान्ति मिलती है और आपके जीवन के समस्त कष्टों का निवारण होता है. इस बार पितृपक्ष 2 सितंबर से 17 सितंबर तक रहेंगे. आइए आपको बताते हैं कि श्राद्ध में सबसे बड़े दान क्या माने जाते हैं.

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1. गौदान- इस दान को करने से व्यक्ति को निश्चित रूप से मुक्ति की प्राप्ति होती है. व्यक्ति इस दान को प्रत्यक्ष भी कर सकता है और संकल्प से भी.

2. भूमि दान- भूमि या इसके अभाव में केवल मिट्टी का दान करने से यह दान पूर्ण हो जाता है. इससे आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है.

3. तिल दान- काले तिलों का दान करने से व्यक्ति को ग्रह और नक्षत्रों की बाधा से मुक्ति मिलती है.

4. स्वर्ण दान- स्वर्ण दान करने से व्यक्ति को कर्ज और रोगों से मुक्ति मिलती है. स्वर्ण के अभाव में केवल दक्षिणा भी दी जा सकती है.

5. घृत दान- गाय का घी पात्र सहित दान करना चाहिए, इससे पारिवारिक जीवन बेहतर हो जाता है.

6. वस्त्र दान- इसमें वस्त्र और उप वस्त्र दोनों अलग-अलग दान किए जाते हैं. वस्त्र नए हों, फटे-पुराने ना हों.

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7. धान्य दान- इसमें अलग अलग या कोई एक धान्य दान किया जाता है. इससे वंश वृद्धि सम्भव हो जाती है.

8. गुड़ दान- गुड़ का दान करने से पितरों को विशेष संतुष्टि प्राप्त होती है. इसका दान काफी अच्छा माना जाता है.

9. रजत दान- चांदी का दान करना परिवार और वंश को मजबूत करता है. चांदी के अभाव में सफेद धातु की कोई वस्तु दान की जा सकती है.

10. लवण दान- नमक का दान किए बिना कभी भी दान सम्पूर्ण नहीं होता. नमक का दान करने से प्रेत और आत्माओं की बाधा से मुक्ति मिलती है.

 

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