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Pitru Paksha 2024 Date: मातृ नवमी का श्राद्ध आज, जानें पिंडदान, तर्पण और दान-दक्षिणा की विधि

Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष में नवमी तिथि के श्राद्ध को विशेष स्थान दिया गया है. इस दिन दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध करने का विधान है. इसलिए इसे मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

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मातृ नवमी पर उन महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु किसी विपरीत परिस्थिति में हुई हो. या फिर जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो.
मातृ नवमी पर उन महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु किसी विपरीत परिस्थिति में हुई हो. या फिर जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो.

Pitru Paksha 2024: आज पितृपक्ष में नवमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा. पितृपक्ष में नवमी तिथि के श्राद्ध को विशेष स्थान दिया गया है. इस दिन दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध करने का विधान है. इसलिए इसे मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन उन महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु किसी विपरीत परिस्थिति में हुई हो. या फिर जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो. इस दिन दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है. आइए नवमी तिथि के श्राद्ध की पूरी विधि जानते हैं.

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नवमी तिथि पर कैसे करें श्राद्ध?

सामग्री
- काला तिल, जौ, चावल, पान, सुपारी
- पुष्प, जल, धूप, दीप
- पवित्र जल (गंगाजल)
- गाय का घी
- सफेद कपड़ा (श्वेत वस्त्र)

विधि
सबसे पहले श्राद्ध करने वाला व्यक्ति स्नानादि के बाद खुद को शुद्ध कर लें. फिर श्राद्ध के लिए साफ और पवित्र स्थान चुनें. वहां पर एक पवित्र आसन बिछाएं और पितरों का आह्वान करें. धूप, दीप जलाकर पितरों की आरती करें और उनकी शांति की कामना करें. पिंडदान के लिए आटे या चावल के पिंड बनाएं. इन पिंडों को गाय के घी से अभिषेक कर तिल और जौ के साथ पितरों को अर्पित करें. 

इसके बाद पितरों का तर्पण करें. पितरों को जल अर्पित करना तर्पण कहलाता है. जल में काले तिल मिलाकर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें अर्पित करना चाहिए. तिल, जौ, और पुष्प का प्रयोग भी किया जा सकता है. तर्पण के दौरान "ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः" मंत्र का जाप करें.

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भोजन और दान-दक्षिणा
पितरों के लिए तैयार भोजन (खीर, पूड़ी, हलवा आदि) व जल अर्पित करें. विशेषकर, स्त्री के श्राद्ध में उनका प्रिय भोजन जरूर अर्पित करना चाहिए. ब्राह्मण या जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र, धन या अन्य सामग्री का दान करें. श्राद्ध कर्म में शुद्धता और पवित्रता का विशेष महत्व होता है, इसलिए इसे विधिपूर्वक और श्रद्धापूर्वक संपन्न किया जाना चाहिए.

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