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Rangbhari Ekadashi 2025: रंगभरी एकादशी पर जरूर करें ये उपाय, श्रीहरि कर देंगे मालामाल

Rangbhari Ekadashi 2025: इस बार 10 मार्च को रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी. फाल्गुन शुक्ल-एकादशी को काशी में रंगभरी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भोले की नगरी काशी में मां पार्वती के स्वागत के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है.

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रंगभरी एकादशी 2025
रंगभरी एकादशी 2025

Rangbhari Ekadashi 2025: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को काशी में रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है और काशी में होली का पर्वकाल प्रारंभ हो जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के उपरांत पहली बार अपनी प्रिय काशी नगरी आए थे. इस पर्व में शिव जी के गण उन पर व समस्त जनता पर रंग, अबीर, गुलाल उड़ाते, खुशियां मनाते चलते हैं. रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. 

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इस दिन से वाराणसी में रंग खेलने का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है जो लगातार 6 दिन तक चलता है. ब्रज में होली का पर्व होलाष्टक से शुरू होता है, वहीं वाराणसी में ये रंगभरी एकादशी से शुरू हो जाता है. इस बार रंगभरी एकादशी 10 मार्च, सोमवार को मनाई जाएगी. ज्योतिषियों की मानें तो, इस दिन रंगभरी एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय करने चाहिए. 

रंगभरी एकादशी के उपाय

सफलता प्राप्ति के लिए

रंगभरी एकादशी के दिन 1 या 21 ताजे पीले फूल की माला बनाकर श्री हरि विष्णु को अर्पित करें. साथ ही, भगवान को खीर बनाकर उसमें तुलसी डालकर भोग लगाएं. माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है.

सुख समृद्धि के लिए 

रंगभरी एकादशी के दिन जीवन में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य पाना चाहते हैं तो इस दिन पवित्र नदी में स्नान आदि करना चाहिए और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. साथ ही, पूजा के बाद भगवान को आंवला चढ़ाना चाहिए.

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कार्यक्षेत्र में तरक्की के लिए

कार्यक्षेत्र तरक्की प्राप्त करना चाहते हैं या आपके विपरीत कोई स्थिति बन गई है तो रंगभरी एकादशी के दिन आपको आंवले के पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए और आंवले की जड़ की थोड़ी-सी मिट्टी माथे पर तिलक के रूप में लगाना चाहिए. 

रंगभरी एकादशी पूजन विधि (Rangbhari Ekadashi Pujan Vidhi)

रंगभरी एकादशी के दिन सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प करना चाहिए. इसके बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान आंवले का फल भगवान विष्णु को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं. आंवले के वृक्ष की पूजा करें फिर किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए. 

अगले दिन स्नान कर भगवान विष्णु के पूजन के बाद ब्राह्मण को कलश, वस्त्र और आंवला आदि का दान करना चाहिए, इसके बाद भोजन ग्रहण कर व्रत खोलना चाहिए. कुछ लोग इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के रूप में मनाते हैं. ऐसे में इस दिन शिवलिंग पर लाल रंग का गुलाल और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें. इस दिन शिवजी और विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें. 

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