चतुर्थी और पंचमी एक साथ पड़ जाने के कारण आज षष्ठी मनाई जा रही है. इस दिन नवदुर्गा के छठवें स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था, इसलिए इनको कात्यायनी कहा जाता है. इनकी चार भुजाओं में अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है. इनका वाहन सिंह है. ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी.
मां कात्यायनी की पूजा से मिलते हैं ये लाभ- विवाह सम्बन्धी मामलों के लिए मां के इस स्वरूप की पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध इनसे माना जाता है. कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए इनकी पूजा अद्भुत मानी जाती है. मनचाहे विवाह और प्रेम विवाह के लिए भी इनकी उपासना की जाती है. वैवाहिक जीवन के लिए भी इनकी पूजा फलदायी होती है. अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हो तो भी विवाह हो जाता है.
मां कात्यायनी की पूजा विधि- मां कात्यायनी की पूजा गोधूली वेला के समय पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करके करनी चाहिए. इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें. इनको शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है. मां को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होंगी. इसके बाद मां के समक्ष उनके मन्त्रों का जाप करें. शीघ्र विवाह के लिए मां कात्यायनी की पूजा में दीपक जलाने के बाद मां को पीले फूल अर्पित करें. इसके बाद 3 गांठ हल्दी की भी चढ़ाएं. इसके बाद मां कात्यायनी के मंत्र "कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी. नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः" का का जाप करें और हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें.