आज सावन माह की विनायक चतुर्थी है. सावन में भगवान गणेश की पूजा का खास महत्व होता है. हर महीने में दो चतुर्थी होती है जिन्हें भगवान श्री गणेशजी की तिथि माना जाता हैं. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. भगवान गणेश की पूजा से बड़े से बड़े विघ्न को आसानी से टाला जा सकता है इसीलिए इन्हें विघ्नविनाशक भी कहते हैं.
विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
विनायक चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 11 अगस्त शाम 04 बजकर 53 मिनट से
विनायक चतुर्थी तिथि समापन: 12 अगस्त दोपहर 03 बजकर 24 मिनट तक
विनायक चतुर्थी की पूजन विधि
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें. उसके बाद भगवान गणेश के मंदिर में एक जटा वाला नारियल और मोदक प्रसाद के रूप में लेकर जाएं. उन्हें गुलाब के फूल और दूर्वा अर्पण करें तथा ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का 27 बार जाप करें तथा धूप दीप अर्पण करें. दोपहर पूजन के समय अपने घर मे अपनी सामर्थ्य के अनुसार पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें. संकल्प के बाद पूजन करके श्री गणेश की आरती करें तथा मोदक बच्चों के बाट दें.
विनायक चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है. कोई भी मंत्र, जाप, अनुष्ठान गणेश पूजा के बिना सफल नहीं होता है. शास्त्रों में विनायक चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. इस दिन गणपति की आराधना करने से व्यक्ति को धन-लाभ, सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. आज के दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करने से सभी दुख समाप्त हो जाते हैं.