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साइंस न्यूज़

Japan Tsunami: जापान 'जलजले' के 12 साल, सुनामी गई पर दर्द अब भी बाकी... देखिए 12 Photos

2011 Japan tsunami Tōhoku earthquake
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11 मार्च 2011 की सुबह जापान उत्तर-पूर्वी इलाके में टोहोकू के पास समुद्र में एक 9.0-9.1 तीव्रता का भूकंप आया. आधे घंटे में जापान का 70 प्रतिशत इलाका पानी में डूब गया. सुनामी की तेज और भयावह लहरों ने जापान को डूबा दिया. इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट से आग लग गई. नीचे पानी बह रहा है, ऊपर इमारतें, ऑयल रिफाइनरी जल रही है. (फोटोः AFP)

2011 Japan tsunami Tōhoku earthquake
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सुनामी का केंद्र टोहोकू से 72 किलोमीटर दूर प्रशांत महासागर में था. इसे ग्रेट ईस्ट जापान भूकंप (Great East Japan Earthquake) और टोहोकू भूकंप और जापान सुनामी (Tōhoku earthquake) भी बुलाते हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 19,759 लोग मारे गए. 6242 लोग जख्मी हुए. 2553 लोग अब भी लापता हैं. (फोटोः रॉयटर्स)

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2.28 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे. हालांकि जापान की सरकार ने दावा किया है कि उन्होंने सुनामी के बाद बेघर हुए लोगों में से 30 फीसदी लोगों को घर दिए हैं. भूकंप इतना तगड़ा था कि उसका असर अंटार्काटिका और उत्तर में नॉर्वे तक महसूस किया गया. सुनामी से बहने वाले कचरे कई सालों तक अमेरिका के तटों तक पहुंचते रहे. (फोटोः AFP)

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2011 Japan tsunami Tōhoku earthquake
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भूकंप और सुनामी की वजह से 1.20 लाख इमारतें ध्वस्त हो गई थीं. 2.78 इमारतें आधी गिर गई थीं. 7.26 लाख इमारतों को नुकसान पहुंचा था. विश्व बैंक के मुताबिक 19.26 लाख करोड़ रुपये का कुल नुकसान हुआ था. दुनिया के इतिहास की सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान करने वाली प्राकृतिक आपदा थी जापानी सुनामी. (फोटोः गेटी)

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जापान की धरती भूकंप की वजह से छह मिनट तक लगातार कांपती रही थी. टोहोकू के नीचे मौजूद सबडक्शन जोन की जब जांच की गई तो पता चला कि दो टेक्टोनिक प्लेटों के बीच क्ले भरा हुआ था. जिसकी वजह से प्लेट स्थाई तौर पर टिक नहीं पाई और फिसल गईं. इसकी वजह दोनों प्लेट एकदूसरे के ऊपर 164 फीट तक खिसक गई थीं. (फोटोः रॉयटर्स)

2011 Japan tsunami Tōhoku earthquake
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जापान में भूकंप और सुनामी अलर्ट सिस्टम बहुत ही बेहतरीन है. इसलिए कुछ मिनट पहले ही सूचना मिल गई. लोगों को मोबाइल पर चेतावनी मिल गई थी. तत्काल लोग ऊंचाई वाले स्थानों पर भागे. भूकंपरोधी इमारतों के सख्त नियमों की वजह से ज्यादा लोग नहीं मरे. हाई-स्पीड ट्रेनों को रोक दिया गया. फैक्ट्री असेंबली लाइन को बंद कर दिया गया था. (फोटोः रॉयटर्स)

2011 Japan tsunami Tōhoku earthquake
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सबसे ऊंची सुनामी की लहरें मियाको शहर में आई. ऊंचाई थी 128 से 133 फीट. सुनामी की वजह से 561 वर्ग किलोमीटर का इलाका बाढ़ग्रस्त हो गया. सेंदाई में तो समुद्र की लहरें 10 किलोमीटर अंदर तक चली आई थीं. सुनामी की लहरें सुनामी वॉल्स (सुनामी को रोकने वाली दीवारों) को पार करके तबाही मचा रही थीं. (फोटोः गेटी)

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फुकुशिमा डाइची परमाणु संयंत्र में सुनामी का पानी घुसने की वजह से लेवल-7 का न्यूक्लियर मेल्टडाउन हुआ. जिससे रेडियोएक्टिव पदार्थ निकलने लगा. प्लांट की कूलिंग कैपेसिटी खत्म हो गई थी. इस संयंत्र से निकले रेडियोएक्टिव तत्व लहरों के साथ कनाडा और कैलिफोर्निया के तटों तक पहुंचे. हालांकि मात्रा बहुत कम थी. (फोटोः रॉयटर्स)

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चेतावनी जारी होने की वजह से मियागी और फुकुशिमा के 58 फीसदी लोग ऊंचाई वाले स्थानों तक पहुंच गए थे. लेकिन बाकी लोगों को सही समय नहीं मिल पाया. कुछ लोगों को लगा कि ये सुनामी छोटी होगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस बार की सुनामी हर बार की तरह नहीं थी. इसने जो कहर बरपाया वो बयान करने लायक नहीं था. शहर के शहर डूब गए. (फोटोः रॉयटर्स)

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सुनामी की लहरें सिर्फ जापान में ही तबाही नहीं मचा रही थीं. ये लहरें प्रशांत महासागर को पार कर अलास्का, हवाई और चिली तक पहुंच गई थीं. चिली की दूरी जापान से करीब 17 हजार किलोमीटर है. वहां पर सुनामी की लहरों की ऊंचाई 6.6 फीट थी. जापान में आए भूकंप ने धरती के घुमाव को एक माइक्रोसेकेंड के लिए बदल दिया था.

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11 मार्च के बाद जापान में पूरे साल कुल मिलाकर 5 हजार ऑफ्टरशॉक्स आए. जिसमें 7.9 तीव्रता का भूकंप भी था. इसकी वजह से जापान के उत्तर में मौजूद होंशू तट अपने पुरानी ऊंचाई से 2 फीट नीचे धंस गया था. होंशू इलाका 8 फीट पूर्व की तरफ खिसक गया था. प्रशांत की प्लेट भूकंप के केंद्र से 79 फीट पश्चिम की तरफ खिसक गई थी. 

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सुनामी की लहरों ने अंटार्कटिका के सल्जबर्गर आइस सेल्फ को तोड़ दिया था. प्रशांत महासागर में सुनामी की 5 फीट ऊंची लहरों की वजह से 1.10 लाख समुद्री पक्षियों की मौत हो गई थी. ये अपने घोसले में थीं. नॉर्वे के जॉर्ड्स में मौजूद पानी ऐसे हिल रहा था, जैसे बाल्टी में मौजूद पानी को कोई तेजी से हिला दे. 

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